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आंध्र का खुले में शौच मुक्त का दावा, जमीनी हकीकत कुछ और

अमरावती, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश ने खुद को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) राज्य बताया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
दक्षिण राज्य ने एक कदम आगे जाते हुए खुद को ओडीएफ प्लस बताया है। हालांकि, लोगों को लगता है कि यह दावे केवल कागजों तक ही सीमित हैं।
पिछले साल जून में तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के ओडीएफ होने की घोषणा की थी। उन्होंने दावा किया था कि राज्य ने 2.77 लाख निजी शौचालय बनाकर राज्य के लक्ष्य को पार कर लिया है।
वर्ष 2016 में महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर राज्य के सभी 110 शहरी स्थानीय निकाय ने दावा किया था कि उन्होंने स्वच्छ आंध्र कारपोरेशन (एसएसी) के माध्यम से ओडीएफ के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। एसएसी की स्थापना राज्य सरकार ने 2015 में स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की थी।
कई लोग ऐसे हैं, जो सरकार के दावों को स्वीकार नहीं करते हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण और शहरी स्थानों पर अभी भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं।
विजयवाड़ा में सामाजिक कार्यकर्ता वी. सत्यनारायण ने आईएएनएस से कहा, सार्वजनिक स्थान पर शौचालय बना देना ही लक्ष्य नहीं हो सकता। उनके रखरखाव का क्या। कोई भी शहर में जाकर देख सकता है, लोग अभी भी शौचालयों के स्थान पर उनके पास ही खुले में पेशाब कर रहे हैं और इसका कारण है बनाए गए शौचालयों के रखरखाव में कमी।
उन्होंने दावा किया कि विभिन्न विभागों में किसी प्रकार का कोई तालमेल नहीं है। उन्हें बिना तालमेल के बनाया गया है। इस वजह से अधिक शौचालय प्रयोग में लाने लायक नहीं हैं।
वी. सत्यनारायण ने पूछा, उन्होंने उचित जल निकासी भी सुनिश्चित नहीं की। कई सार्वजनिक शौचालयों में या तो पानी का ठहराव है या वे बदबू मार रहे हैं। सिर्फ शौचालय बना देने से सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है। उनके रखरखाव का क्या हुआ?