नोटबंदी की बड़ी गवाह रहीं, अब इस तरह देखती हैं फैसले को

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पूर्व चेयरपर्सन अरूधंति भट्टाचार्य ने नोटबंदी को लेकर बड़ा बयान दिया है। भट्टाचार्य ने कहा कि 8 नवंबर 2016 को हुए डिमोनेटाइजेशन (नोटबंदी) के लिए बैंकों को पूरा समय नहीं दिया गया था। अरुंधति ने कहा कि नोटबंदी के वक्त बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों पर काफी दबाव था और दिया गया समय पर्याप्त नहीं था। उन्होंने कहा कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था। इस पहल का मकसद कालाधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना था। अरुंधति के मुताबिक अगर हम किसी नई चीज को करना चाहते हैं और अगर उसकी तैयारी हमने ज्यादा बहतर तरीके से की हो तब ये और भी अधिक कारगर साबित होती है। अरुंधति नोटबंदी के दौरान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन थीं।
समय मिलता तो और बेहतर काम होता
अगर नोटबंदी के लिए थोड़ी ज्यादा तैयारी का मौका मिलता तो निश्चित रूप से इसका दबाव हम पर ना के बराबर होता। उन्होंने कहा, अगर आपको नकदी लानी-ले जानी होती है, उसके कुछ नियम है। हमें पुलिस की जरूरत होती है। काफिले की व्यवस्था करनी होती है। पास का कोई रास्ता चुनना होता है। ये बड़ा जटिल काम काम होता है। अरूंधति ने ये भी कहा की नोटबंदी सही फैसला रहा या नहीं इसके आकलन के लिए भी समय चाहिए होगा। वहीं नोटबंदी के फायदे के बारे में उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी, उच्च मूल्य की मुद्रा पर निर्भरता कम हुई और डिजिटलीकरण बढ़ा है। अरुंधति ने कहा, मुझे नहीं लगता कि कालाधन रखने वाले बच पाएंगे। प्रौद्योगिकी लाखों खातों के विश्लेषण करने में मदद करेगी।
ये भी पढ़े-पहाड़ों की रानी "मसूरी" में पीएम मोदी, ट्रेनी IAS को करेंगे संबोधित
टैक्स का भुगतान करने वालों को पसंद आया फैसला
कालाधन रखने वालों को पता है कि वो जांच के घेरे में हैं। अरुंधति का दावा है कि देश में जो लोग टैक्स का भुगतान करते हैं उन्हें नोटबंदी एक अच्छा फैसला लगा। उनका मानना है कि आखिर क्यों देश में कोई टैक्स चोरी करे। अरुंधति ने कहा कि पूरी प्रक्रिया के दौरान हमारी शाखाओं से गांव-गांव से खबर आ रही थी। इन खबरों के मुताबिक आम आदमी का यही मानना रहा कि देश में समानांतर अर्थव्यवस्था को रोक लगाना जरूरी था। हालांकि ये रोक लगाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं।
अरुंधति ने कहा कि नोटबंदी पर किसी तरह की राजनीतिक प्रतिक्रिया वो नहीं दे सकती हैं। हालांकि उन्होंने दावा किया कि जिस स्तर पर देश में नोटबंदी की प्रक्रिया चलाई गई उसमें देश के बैंकों ने बहुत बड़ा काम किया। इस तरह से देश की करेंसी को कुछ दिनों में बदल पाना आसान काम नहीं था।
Created On :   27 Oct 2017 9:03 AM IST