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माह बीत गया पर राशन मिला आधे हितधारकों को, गरीब परेशान
डिजिटल डेस्क, उमरिया। जिले की सार्वजनिक वितरण प्रणाली का न्यायसंगत ढंग से नागरिकों को लाभ दिलाने सरकार ने POS मशीन का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। लेकिन इस मशीन की तकनीकी खराबी, व्यवस्था की बाधक बन गई है।
जिले में संचालित कुल 252 शासकीय उचित मूल्य दुकानों से 1 लाख 29 हजार 718 पात्रता परिवार राशन प्राप्त करता है। लेकिन इस माह के अंतिम सप्ताह तक आधे हितग्राहियों को ही राशन मिल सका है। लाभान्वित हितग्राहियों की संख्या 56955 है। बताया जाता है कि ग्रामीण अंचलों में कार्डधारी रोजाना दुकानों के चक्कर काट कर लौट जाते हैं। उनसे राशन दुकानों के सेल्समैन अभद्रता भी करते हैं। मशीन की खराबी कोई पहली बार नहीं हुई है, किसी न किसी दुकान की मशीन अक्सर खराब रहती है। जबकि दूसरी ओर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का दावा है कि उसके लिए नियमित रूप से इंजीनियर काम करते रहते हैं, पर सेल्समैनों द्वारा समय से जानकारी नहीं दी जाती है।
उठाव तो हुआ पर वितरण आधे मेें अटका
जुलाई माह के लिए सरकार द्वारा गेहूं का आवंटन 19 हजार 302 क्विंटल, चावल का आवंटन 13 हजार 410 क्विंटल, नमक 1249 क्विंटल और केरोसिन का 3 लाख 75 हजार लीटर आवंटन किया गया है। इसमें से अभी तक गेहूं का वितरण 8856 क्विंटल, चावल का वितरण 6168 क्विंटल किया गया है। वितरण की स्थिति को देखते हुए ज्ञात होता है कि अभी तक आधा राशन भी समुचित रूप से नहीं बंट सका है, जबकि महीना समाप्त होने को है। सेल्समैन समय से दुकान भी नहीं खोल रहे हैं। वितरण व्यवस्था ठप होने के कारण कई गांवों के दुकानदार दुकान भी बंद रखते हैं। उन्हे यह भी जानकारी देने वाला कोई नहीं कि आखिर व्यवस्था कब सुधरेंगी।
तकनीकी खराबी की जानकारी नहीं
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि उन्हे यह मालूम नहीं है कि POS मशीन में कौन सी खराबी आ गई और उसमें सुधार कब तक कराया जाएगा। न तो यहां इंजीनियर आते हैं और न ही मशीन कहीं बनवाने ले जाई जा रही है। सरकारी अमले के लोग भी यहां नहीं आते हैं। सुनने को मिलता है कि मशीन को सुधारने इंजीनियर को बुलाया गया है।
राशन के खातिर समय बर्बाद करते हैं
ग्रामीणों के पास चूंकि वितरण की स्थिति में सुधार होने की कोई जानकारी नहीं, इसलिए वे गल्ला लेने सुबह से दुकानों में पहुंच जाते हैं। कई घंटे बर्बाद करने के बाद उन्हें मालूम होता है कि मशीन काम नहीं कर रही है, इसलिए गल्ला नहीं मिलेगा। तब वे निराश होकर लौट जाते हैं। एक-दो दिन बाद पुन: दुकान पहुंचते हैं और उन्हें वैसे ही स्थिति मिलती है। इससे समय बर्बाद होता है और काम पर नहीं जाने के कारण आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ती है।
Created On :   27 July 2017 4:45 PM IST