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कोरोना संकट: आत्मरक्षा की सीख देने वाली वीरांगनाएं अब जरूरतमंदों की मदद के लिए उतरीं, देखिए तस्वीरें
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। कल तक दूसरों को विशेषकर महिलाओं को आत्मरक्षा की सीख दने वाली वीरांगनाएं इस कोरोना काल में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सामने आई हैं। मजबूर प्रवासी मजदूरों की मदद करना उनकी पहली प्राथमिकता हो गयी है। पूर्णबंदी में काम धंधा बंद हो जाने से दूसरे शहरों से वापस लौटे इन गरीब श्रमिकों के बच्चों का ये न सिर्फ पेट भर रही हैं, बल्कि उन्हें संस्कार भी सीखा रही हैं।
ऊषा की यह टीम महानायक अमिताभा बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति शो में भी हिस्सा ले चुकी है। वहां ऊ षा ने अपनी प्रतिभा दिखाकर 12 लाख 50 हजार रुपए जीते थे। वह सिने तारिका प्रियंका चोपड़ा और महानायक अमिताभ बच्चन के साथ मंच साझा कर चुकी हैं।
ऊषा विश्वकर्मा के अनुसार उनके सकारात्मक प्रयासों के लिए रेड ब्रिगेड को वर्ष 2013 में फि लिप्स गोडफ्रे राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके बाद ऊ षा विश्वकर्मा को देश की 100 वूमन अचीवर में शामिल किया गया और साल 2016 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ लंच करने का मौका मिला। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी ऊ षा को लक्ष्मी बाई अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रेड बिग्रेड की मुखिया को देवी अवॉर्ड से नवाजा है।
इसके अलावा रात के वक्त बाहर से आने वाले प्रवासियों को पानी, बिस्कुट, चना, लइया भी उपलब्ध कराया जा रहा है। ऊ षा ने बताया कि रेड बिग्रेड टीम से जुड़ी दर्जनों महिलाएं इस कार्य में भरपूर सहयोग कर रही हैं। इनमें मानसी सिंह, कविता भारती, लक्ष्मी, अनुपमा समेत कई शामिल हैं। उन्होंने बताया, नास्ता लेने से पहले प्रवासियों के सभी बच्चे एक दूसरे का अभिवादन और बड़ों से नमस्ते करते हैं। उनके अंदर अच्छे संस्कार विकसित हो रहे हैं। इस दौरान वे शारीरिक दूरी के प्रोटोकाल का स्वत: पालन करते हैं। सभी पंक्तिबद्घ खड़े होकर भोजन लेते हैं।
ऊषा ने बताया, लॉकडाउन में इनमें से कुछ कामगार तो अपने घर वापस चले गये, लेकिन जो नहीं जा सके, उनकी स्थिति बड़ी ही दयनीय है। इन परिवारों के लिए उनकी संस्था द्वारा 29 मार्च से लगातार सुबह-शाम भोजन और नाश्ता की व्यवस्था की गयी है। इन प्रवासियों की संख्या करीब तीन सौ है। लॉकडाउन में काम ठप होने के बाद इनके पास खाने को कुछ नहीं दिखा तो हमने अपने कटहल रेस्टोरेंट को सामुदायिक रसोई में तब्दील कर दिया। समाज के लोगों ने भी खूब मदद की। नतीजा यह हुआ कि करीब 12,000 बच्चों को सुबह दलिया, लगभग 18,000 लोगों को भोजन और 2,500 जरूरतमंदों को सूखा राशन अब तक वितरित किया गया।
उन्होंने बताया, कोरोना काल में जब प्रशिक्षण का कार्य प्रभावित हुआ तो संस्था ने अपने को सेवा कार्य से जोड़ लिया। लॉकडाउन में सबसे अधिक प्रभावित प्रवासी मजदूर ही हुए हैं। उनके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है। रोज कमाने खाने वाले ये लोग खासे परेशान हो रहे हैं। हम लोगों ने देखा कि लखनऊ के गोमती नगर स्थित जुगौली में रहने वाले कामगार जो दूसरे प्रदेशों से आकर ठेला, खोमचा लगाते हैं अथवा मजदूरी करके परिवार पालते हैं। उनमें से अधिकतर लोग नेपाल, छत्तीसगढ़, झारखण्ड के रहने वाले हैं।
कोरोना काल में गरीबों की मदद में जुटीं इन वीरांगनाओं की एक संस्था है, जिसका नाम रेड बिग्रेड है। इस संस्था की नींव वर्ष 2011 में ऊषा विश्वकर्मा ने रखी थी। यह संस्था बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाती है। ऊषा ने बताया कि उनकी संस्था द्वारा अब तक पूरे देश में 1 लाख 57 हजार लड़कियों को सेल्फ -डिफेंस की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। उनकी टीम में इस समय कुल 100 लड़कियां हैं। इसके अलावा पूरे देश में इस संस्था के 8 हजार सदस्य हैं। विदेशों में भी इस संगठन से बहुत से लोग जुड़े हुए हैं। टीम के लोगों ने पांच देशों के एक्सपर्ट्स से मार्शल आर्ट, ताइक्वांडो और कर्मागा की ट्रेनिंग ली है।
Created On :   27 May 2020 2:30 PM IST