शहीद दिवस: अपनी ही मौत पर गौरवान्वित थे भगतसिंह, दुल्हन समझ लगाया था मौत को गले

Shaheed Diwas 23 March, Bhagat Singh Was Proud Of His Own Death
शहीद दिवस: अपनी ही मौत पर गौरवान्वित थे भगतसिंह, दुल्हन समझ लगाया था मौत को गले
शहीद दिवस: अपनी ही मौत पर गौरवान्वित थे भगतसिंह, दुल्हन समझ लगाया था मौत को गले

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वतन की खातिर मर मिटने वाले शहीदों को याद करने के लिए 23 मार्च का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन पर हम आपको बता रहे हैं भारत के वीर सपूतों की ऐसी कहानी, जिनके लिए फांसी का तख्ता मंडप की तरह था। उन्होंने अपने फांसी के फंदे को वरमाला बनाया और मौत को दुल्हन बना कर गले से लगा लिया। हम बात कर रहे हैं शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथी सुखदेव और राजगुरु की। 

जन्म तारीख को लेकर विरोधाभास
भगत सिंह का जन्म 28 सिंतबर, 1907 में ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर जिले (अब पाकिस्तान) के बंगा गांव में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके जन्म की यह तारीख तय नहीं है, लेकिन उनके परिवार वाले 28 सितंबर को ही उनका जन्मदिन मनाते हैं। वहीं कुछ जगहों पर उनके जन्म का जिक्र 27 सितम्बर को मिलता है। 

ए​क घटना ने मन पर डाला गहरा प्रभाव
खटकड़कलां भगतसिंह का पैतृक गांव है। इनके पूर्वज यहीं के रहने वाले हैं।​ 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगतसिंह के पर गहरा प्रभाव डाला। यही वह क्षण था, जब भग​तसिंह ने भारत की आजादी के सपने देंखे और आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

एक्टर भी थे भगतसिंह
शहीद भगत सिंह के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन तब आया, जब उन्होंने लाहौर स्थित ‘नर्सरी ऑफ पैट्रिआट्स’ के रूप में विख्यात नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया। इस कॉलेज की शुरूआत लाला लाजपत राय ने की थी। अपने कॉलेज के शुरूआती दिनों में भगतसिंह एक्टिंग करते थे। उन्होंने कई नुक्कड़ नाटक में पार्ट लिया। 

शादी न करनी पड़े इसलिए घर से भागे
हर एक युवा की तरह भगतसिंह भी नहीं चाहते थे कि उनकी शादी हो। जब उनके घर में शादी की बात हुई तो वे घर से भाग कर कानपुर चले गए थे। साथ ही घर वालों के लिए खत भी छोड़ा। इस खत में लिखा कि मैंने अपना जीवन देश को आजाद कराने के लिए समर्पित कर दिया है। इसलिए कोई इच्छा या ऐशो-आराम उनको आकर्षित नहीं कर सकता। वे सांसारिक मोहमाया से दूर हैं और दूर ही रहना चाहते हैं। उनका लक्ष्य, भारत मां की आजादी है।

घर की मर्जी के आगे किसकी चल सकी है। भगतसिंह के मना करने पर भी उनकी शादी कर दी गई। उनकी शादी कैसे हुई यह कहानी भी आपको जोश और जुनून से भर देगी। भगत सिंह की शहादत के बाद उनके घनिष्ठ मित्र भगवती चरण वोहरा की धर्मपत्नी दुर्गा भाभी ने, जो स्वयं एक क्रांतिकारी वीरांगना थीं। बताया कि भगत सिंह की शादी हुई, फांसी का तख्ता उसके लिए मंडप बना, फांसी का फंदा उसकी वरमाला और मौत बनी उसकी दुल्हन।

हर आंदोलन में लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा
एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भगतसिंह का योगदान तारीफ ए काबिल है। गिरफ्तार होने के पहले उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की प्रत्येक गतिविधि में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन के वक्त उनकी उम्र महज 13 साल ​थी। इतनी कम उम्र में भी उनका जोश देखने लायक था। सन् 1929 में जब वे गिरफ्तार हुए, उस वक्त उनकी उम्र 22 वर्ष थी। इतनी कम उम्र में भी उनकी गतिविधियां किसी स्वतंत्रता सेनानी से कम नहीं थी। 

षडयंत्र का हुए थे शिकार
लाहौर षडयंत्र केस में भगतसिंह और उनके साथियों राजगुरू और सुखदेव को एक साथ फांसी की सजा सुनाई गई। 24 मई 1931 को फांसी देने की तारीख तय हुई, लेकिन नियत तारीख और समय से 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को उनको शाम साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई। इस तरह दी गई फांसी कहीं से कहीं तक जायज नहीं थी। उनके नाम पर किसी भी तरह की कोई एफआईआर नहीं थी। उनके खिलाफ पाकिस्तान की सरकार ने 451 लोगों से झूठी गवाही दिलवाई ​थी। 

फांसी के पहले लिखा था खत
फांसी के पहले भगतसिंह ने एक खत लिखा। इस खत में लिखा था कि ‘साथियों स्वाभाविक है जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता हूं, लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैंद होकर या पाबंद होकर न रहूं। मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है। क्रांतिकारी दलों के आदर्शों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है, इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में मैं इससे ऊंचा नहीं हो सकता था। मेरे हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने की सूरत में देश की माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह की उम्मीद करेंगी। इससे आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना नामुमकिन हो जाएगा। आजकल मुझे खुद पर बहुत गर्व है। अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है। कामना है कि यह और नजदीक हो जाए।" 

Created On :   23 March 2019 4:40 AM GMT

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