विजयवाड़ा के कनक दुर्गा मां मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब, दर्शन से दूर होते हैं कष्ट

विजयवाड़ा, 26 सितंबर (आईएएनएस) आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में इंद्रकीलाद्री पर्वत और कृष्णा नदी के तट पर स्थित कनक दुर्गा मां मंदिर में शुक्रवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित कनक दुर्गा मां की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई है।
नवरात्रि के पांचवें दिन इस मंदिर में ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर की पौराणिक कथा है कि राक्षसों ने जब पृथ्वी पर तबाही मचाई थी, तब अलग-अलग राक्षसों को मारने के लिए माता पार्वती ने अलग-अलग रूप धारण किए।
मंदिर के पुजारी चिंतापाती वेंकटेश्वर शास्त्री ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "सभी प्रकार की समृद्धि की देवी लक्ष्मी के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की समस्या दूर होती है। यहां दर्शन करने से लोगों का धन का संकट दूर होता है। उन्हें हमेशा आय मिलती रहती है, उनकी समृद्धि निरंतर बढ़ती रहती है। उनकी सभी समस्या जल्द दूर हो जाती है। उनके जीवन में वैभव और ऐश्वर्य आते हैं। उन्हें धन या सुख-सुविधा की कोई कमी नहीं होती।"
उन्होंने कहा कि कनक दुर्गा मां मंदिर में देवी महालक्ष्मी के रूप में प्रकट हुई हैं और भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है।
पुजारी ने कहा कि नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष सजावट और पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर की कठोर तपस्या के बाद अर्जुन को दिव्य अस्त्र की प्राप्ति हुई था। इस मंदिर को अर्जुन ने मां दुर्गा के सम्मान में बनवाया था। यह भी कहा जाता है कि आदिदेव शंकराचार्य ने भी इस मंदिर में भ्रमण किया था और अपना श्रीचक्र स्थापित करके माता की वैदिक पद्धति से पूजा-अर्चना की थी।
उन्होंने बताया कि नवरात्रि को देखते हुए मंदिर में स्वच्छता और श्रद्धालुओं के जलपान और मेडिकल की भी व्यवस्था की गई है।
ठसà¥à¤µà¥à¤à¤°à¤£: यह नà¥à¤¯à¥à¥ à¤à¤à¥ फ़à¥à¤¡à¥à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤¤à¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ à¤à¤¬à¤° हà¥à¥¤ à¤à¤¸ नà¥à¤¯à¥à¥ मà¥à¤ BhaskarHindi.com à¤à¥à¤® à¤à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ तरह à¤à¤¾ à¤à¥à¤ बदलाव या परिवरà¥à¤¤à¤¨ (à¤à¤¡à¤¿à¤à¤¿à¤à¤) नहà¥à¤ à¤à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤¾ हà¥| à¤à¤¸ नà¥à¤¯à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤µà¤ नà¥à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ à¤à¤ªà¤¯à¥à¤ मà¥à¤ लॠà¤à¤ सामà¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥à¤ à¤à¥ समà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤£ à¤à¤µà¤¾à¤¬à¤¦à¤¾à¤°à¥ à¤à¥à¤µà¤² à¤à¤° à¤à¥à¤µà¤² नà¥à¤¯à¥à¥ à¤à¤à¥à¤à¤¸à¥ à¤à¥ हॠà¤à¤µà¤ à¤à¤¸ नà¥à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दॠà¤à¤ à¤à¤¾à¤¨à¤à¤¾à¤°à¥ à¤à¤¾ à¤à¤ªà¤¯à¥à¤ à¤à¤°à¤¨à¥ सॠपहलॠसà¤à¤¬à¤à¤§à¤¿à¤¤ à¤à¥à¤·à¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥ विशà¥à¤·à¤à¥à¤à¥à¤ (वà¤à¥à¤² / à¤à¤à¤à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤° / à¤à¥à¤¯à¥à¤¤à¤¿à¤· / वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥ / डà¥à¤à¥à¤à¤° / नà¥à¤¯à¥à¥ à¤à¤à¥à¤à¤¸à¥ / ठनà¥à¤¯ विषय à¤à¤à¥à¤¸à¤ªà¤°à¥à¤) à¤à¥ सलाह à¤à¤°à¥à¤° लà¥à¤à¥¤ ठतठसà¤à¤¬à¤à¤§à¤¿à¤¤ à¤à¤¬à¤° à¤à¤µà¤ à¤à¤ªà¤¯à¥à¤ मà¥à¤ लिठà¤à¤ à¤à¥à¤à¥à¤¸à¥à¤ मà¥à¤à¤°, फà¥à¤à¥, विडियॠà¤à¤µà¤ à¤à¤¡à¤¿à¤ à¤à¥ लà¥à¤à¤° BhaskarHindi.com नà¥à¤¯à¥à¤ पà¥à¤°à¥à¤à¤² à¤à¥ à¤à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¿à¤®à¥à¤®à¥à¤¦à¤¾à¤°à¥ नहà¥à¤ हà¥|
Created On :   26 Sept 2025 11:47 AM IST