वंग भस्म शक्ति, पाचन और प्रजनन स्वास्थ्य का आयुर्वेदिक खजाना
नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। आयुर्वेद में वंग भस्म को बहुत ही प्रभावशाली धातु भस्म माना जाता है। यह शरीर को ताकत देने, कमजोरी दूर करने तथा प्रजनन शक्ति बढ़ाने में बहुत कारगर है। पुराने समय से ही वैद्यजन इसे एक उत्तम रसायन और पुष्टिकारक औषधि के रूप में इस्तेमाल करते आए हैं। वंग भस्म शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ पाचन, मूत्र और जनन तंत्र को मजबूत बनाती है।
अगर बात करें इसके प्रमुख फायदों की, तो यह सबसे पहले वीर्य और शुक्राणु वृद्धि में बहुत मदद करती है। नपुंसकता, शीघ्रपतन या संतानोत्पत्ति की समस्या से जूझ रहे पुरुषों के लिए यह बहुत लाभकारी है। इसे अश्वगंधा या सफेद मुसली के साथ लेने से वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है और शरीर में नई ऊर्जा आती है।
स्त्रियों के लिए भी यह उतनी ही उपयोगी है। खासकर श्वेत प्रदर (लिकोरिया), गर्भाशय की कमजोरी और मासिक धर्म की गड़बड़ी में यह भस्म बहुत अच्छा असर दिखाती है।
वंग भस्म मूत्र संबंधी रोगों में भी काफी फायदेमंद है। जिन लोगों को बार-बार पेशाब रुकने, जलन या मूत्राशय की कमजोरी जैसी परेशानी होती है, उन्हें गोखरू या गिलोय रस के साथ इसका सेवन लाभ देता है।
इसके अलावा, यह पाचन शक्ति को भी दुरुस्त करती है। अदरक या त्रिकटु चूर्ण के साथ लेने से भूख बढ़ती है, गैस और अपच की दिक्कत कम होती है और शरीर में हलकापन महसूस होता है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी वंग भस्म सहायक मानी जाती है।
इसका सेवन सामान्यतः 125 से 250 मिलीग्राम तक किया जाता है, जो शहद, घी या मक्खन के साथ दिया जाता है। बाजार में यह टैबलेट या कैप्सूल रूप में भी उपलब्ध है, लेकिन किसी भी रूप में इसे वैद्य की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए। यह धातु से बनी औषधि है, इसलिए ज्यादा मात्रा में इसका सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
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Created On :   1 Nov 2025 4:45 PM IST












