पर्यावरण: आईएमडी ने तमिलनाडु के बंदरगाहों में चक्रवात की चेतावनी जारी की

चेन्नई, 20 अगस्त (आईएएनएस)। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा तटों के निकट बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण तमिलनाडु के कई बंदरगाहों के लिए चक्रवात की चेतावनी जारी की है।
आईएमडी के अनुसार, अगले कुछ दिनों में इस चक्रवात के पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ने की उम्मीद है।
जिसकी वजह से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा होने की संभावना है, जबकि तमिलनाडु के पूर्वोत्तर जिलों में, रुक-रुक कर बारिश होने की संभावना है।
नागापट्टिनम बंदरगाह पर चक्रवात चेतावनी संकेत संख्या 1 जारी किया गया है। वहीं, आठ अन्य बंदरगाहों - चेन्नई, कुड्डालोर, पुडुचेरी, कराईकल, एन्नोर, पंबन, कट्टुपल्ली और थूथुकुडी में भी इसी तरह की चेतावनी जारी कर दी गई है।
चेतावनी में तेज हवाओं और समुद्र में उथल-पुथल की संभावना जताई गई है। इन संभावनाओं को देखते हुए मछुआरों को अगली सूचना तक समुद्र में न जाने की सख्त सलाह दी गई है।
मौसम अधिकारियों के अनुसार, तमिलनाडु सीधे तौर पर निम्न-दबाव चक्रवात के रास्ते में नहीं है, लेकिन इसके तटीय क्षेत्रों पर इसका असर पड़ेगा।
आईएमडी ने एक बयान में कहा, "यह सिस्टम उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा की ओर ज्यादा केंद्रित है, लेकिन तमिलनाडु के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है।"
अधिकारियों ने बंदरगाहों पर एहतियाती उपाय लागू करना शुरू कर दिया है, जबकि तटीय क्षेत्रों के ज़िला प्रशासनों को भारी बारिश, संभावित जलभराव और तेज़ हवाओं के लिए तैयार रहने के लिए सतर्क कर दिया गया है।
आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को भी तैयार रहने का निर्देश दिया गया है।
आईएमडी ने आगे कहा कि वह इस सिस्टम के विकास और गति पर बारीकी से नजर रख रहा है, और इसकी तीव्रता के आधार पर आगे की जानकारी जारी की जाएगी।
तटीय क्षेत्रों के निवासियों से मौसम संबंधी सलाह का पालन करने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया है।
यह निम्न-दाब सिस्टम ऐसे समय में आया है जब दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे तमिलनाडु में सक्रिय है।
मौसम विज्ञानियों ने कहा कि मानसून की सक्रियता और बंगाल की खाड़ी में विक्षोभ के संयोजन से अतिरिक्त बारिश हो सकती है, जिससे गर्मी से राहत मिलेगी, लेकिन निचले इलाकों में स्थानीय बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाएगा।
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Created On :   20 Aug 2025 12:30 PM IST