सुरक्षा: आतंकवाद एक चुनौती, इसका खात्‍मा मानवता के लिए जरूरी मुख्‍तार अब्‍बास नकवी

आतंकवाद एक चुनौती, इसका खात्‍मा मानवता के लिए जरूरी  मुख्‍तार अब्‍बास नकवी
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्‍तान के बीच जंग जैसी स्थिति बन गई है। केंद्र सरकार ने कई कड़े फैसले लिए हैं। वहीं, विपक्ष के कुछ नेता मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की सलाह भी दे रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्र मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा कि आतंकवाद को दुनिया के लिए एक चुनौती बताया है।

नई दिल्‍ली, 6 मई (आईएएनएस)। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्‍तान के बीच जंग जैसी स्थिति बन गई है। केंद्र सरकार ने कई कड़े फैसले लिए हैं। वहीं, विपक्ष के कुछ नेता मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की सलाह भी दे रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्र मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा कि आतंकवाद को दुनिया के लिए एक चुनौती बताया है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा कि आतंकवाद का सफाया मानवता के लिए जरूरी है। पाकिस्‍तान आतंक का अड्डा बना हुआ है। पाकिस्‍तान के हुक्‍मरान उसे संरक्षण दे रहे हैं। निश्चिति तौर पर पाकिस्‍तान में आतंक का अखाड़ा पाकिस्‍तान की बर्बादी की इबारत लिख रहा है।

उन्‍होंने आगे कहा कि आतंकवाद भारत की ही समस्‍या नहीं है। आतंकवाद पूरे विश्‍व के लिए चुनौती है और अगर कोई देश आतंकवाद के लिए सुरक्षित जगह बन गया हो, आतंकवाद की शरणगाह बन गया हो तो निश्चित तौर पर ऐसी चरागाहों को, ऐसी शरणगाहों की तबाही और बर्बादी मानवता का पहला कर्तव्‍य है। उन्‍होंने कहा कि यह किसी भी शांतिप्रिय देश का पहला कर्तव्‍य है। मैं मानता हूं कि आज पूरी दुनिया एकजुट होकर खड़ी है। पूरे देश के साथ विश्‍व एक स्‍वर में कह रहा है कि आतंकवाद के इस अखाड़े को पूरी तरह से बर्बाद करना है।

खड़गे के जातीय जनगणना पर प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर नकवी ने कहा कि जातीय जनगणना के मामले में राजनीतिक लाभ की होड़ लगी है, आप खुश रहिए इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इस कुनबे की जो पार्टी है उनके जो कुंठित विचार हैं उन पर नियंत्रण रखना जरूरी है।

बता दें, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि जातिगत जनगणना, सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, और इसे विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा कि यह कदम सामाजिक समानता और सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण है।

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Created On :   6 May 2025 4:07 PM IST

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