राष्ट्रीय: भारत और चीन के बीच संबंध का आधार आपसी विश्वास और सम्मान है रणधीर जायसवाल

नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में भारत-पाक तनाव और तुर्की पर बात करते हुए चीन का जिक्र कर चौंका दिया। चीन का जिक्र कहीं न कहीं जायसवाल का तुर्की के लिए एक इशारा माना जा रहा है।
रणधीर जायसवाल ने कहा, ''भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के मुद्दे पर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चीनी विदेश मंत्री और सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वांग यी ने 10 मई 2025 को एक-दूसरे से बात की थी। हमारे एनएसए ने पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख से उन्हें अवगत कराया था। चीन इस बात को जानता है कि आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता ही भारत-चीन संबंधों का आधार बने हुए हैं।''
रणधीर जायसवाल का यह बयान कहीं न कहीं तुर्की की तरफ इशारा करता है, जिसने भारत के साथ तनाव में आतंक का समर्थन करने वाले पाकिस्तान का समर्थन किया था। भारत और तुर्की के ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं, जो तुर्की के पाकिस्तान समर्थित आतंक का समर्थन करने की वजह से कमजोर हो रहे हैं।
जायसवाल ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत होनी चाहिए। लेकिन, मैं याद दिलाना चाहूंगा कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। हमने पाकिस्तान को कुछ साल पहले आतंकियों की सूची सौंपी थी, उन्हें सौंपने के विषय पर हम पाकिस्तान के साथ चर्चा करने को तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर पर कोई भी द्विपक्षीय चर्चा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करने पर होगी।"
जायसवाल ने कहा, "सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता। हमारे प्रधानमंत्री भी कह चुके हैं कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।"
लॉबी फर्मों को काम पर रखने पर जायसवाल ने कहा, "यह कोई नई प्रथा नहीं है। यह कई दशकों से और 1950 के दशक से लगातार सरकारों के अधीन रहा है। इन फर्मों को स्थिति की आवश्यकता के अनुसार दूतावास द्वारा नियमित रूप से नियुक्त किया जाता रहा है। ऐसी सभी संलग्नताएं सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं। 2007 में परमाणु सौदे से पहले और उसके बाद, भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए फर्मों को लगाया गया था। मुझे यह भी जोड़ना चाहिए कि वाशिंगटन डीसी और अमेरिका के अन्य हिस्सों में दूतावासों और अन्य संगठनों में ऐसी प्रथा आम है।"
1949 में, दूतावास ने रोसेन एंड फ्रेड को काम पर रखा। 1954 में भारत सरकार ने शेलर, बटलर एसोसिएट्स को काम पर रखा। 1958 में भारत सरकार ने मॉस एडवर्ड के को काम पर रखा। 1969-1974 में भारत सरकार ने स्क्वॉयर, सैंडर्स एंड डेम्पसी एलएलसी को काम पर रखा। 1981-83 में भारत सरकार ने बैरन/कैनिंग एंड कंपनी इंक को काम पर रखा। 2005 से आज तक भारत सरकार ने बीजीआर गवर्नमेंट अफेयर्स एलएलसी को काम पर रखा है। ऐसी सभी जानकारी यूएस डीओजे वेबसाइट - एफएआरए फाइलिंग पर उपलब्ध है।
तुर्की पर जायसवाल ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तुर्की पाकिस्तान की तरफ से सीमा पार समर्थित आंतक को रोकने का आग्रह करेगा।
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Created On :   22 May 2025 9:29 PM IST