स्वास्थ्य/चिकित्सा: गंभीर बीमारियों से बचाएंगे ये टीके, किशोरियों को समय पर लगवाना जरूरी

बचपन और युवावस्था के बीच का समय, यानी किशोरावस्था, एक ऐसा दौर होता है जब लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तेजी से विकास होता है। यह उम्र न केवल उनके भविष्य की नींव रखती है, बल्कि उनके आने वाले मातृत्व की दिशा भी तय करती है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि इस उम्र में लड़कियों को ऐसी सभी जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं और सुरक्षा दी जाएं, जो उन्हें बीमारियों से बचा सके। खासतौर पर ऐसे रोग, जो भविष्य में गर्भावस्था के समय मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बन सकते हैं।

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। बचपन और युवावस्था के बीच का समय, यानी किशोरावस्था, एक ऐसा दौर होता है जब लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तेजी से विकास होता है। यह उम्र न केवल उनके भविष्य की नींव रखती है, बल्कि उनके आने वाले मातृत्व की दिशा भी तय करती है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि इस उम्र में लड़कियों को ऐसी सभी जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं और सुरक्षा दी जाएं, जो उन्हें बीमारियों से बचा सके। खासतौर पर ऐसे रोग, जो भविष्य में गर्भावस्था के समय मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बन सकते हैं।

नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने बढ़ती बच्चियों और किशोरियों के टीकाकरण को लेकर बेहद अहम जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि 10 से 19 साल की आयु वाली लड़कियों के लिए कई टीके बहुत जरूरी हैं, जो उन्हें गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं और उनकी आने वाली गर्भावस्था को भी सुरक्षित बना सकते हैं।

डॉ. पाठक ने बताया कि किशोरियों के लिए टीकाकरण के तीन मुख्य उद्देश्य होते हैं: पहला, उन्हें बीमारियों से सुरक्षा देना; दूसरा, इन बीमारियों के फैलाव को रोकना; और तीसरा, भविष्य में गर्भधारण के समय किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से बचाना।

उन्होंने कहा कि जब लड़कियां 11 से 12 साल की होती हैं, तो उन्हें टिटनेस और डिप्थीरिया का बूस्टर टीका, जिसे टीडी वैक्सीन कहा जाता है, जरूर लगवाना चाहिए। यह टीका हर 10 साल में लगवाया जाना चाहिए, ताकि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।

इसके अलावा, 9 से 14 वर्ष की लड़कियों को एक और बेहद जरूरी टीका लगवाना चाहिए, जिसे एचपीवी कहा जाता है। यह टीका बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से बचाव करता है।

डॉ. पाठक ने बताया कि इस उम्र में यह मानकर चला जाता है कि लड़की को अब तक कोई संक्रमण नहीं हुआ है, इसलिए दो टीकों की जरूरत होती है, एक शून्य डोज और दूसरी छह महीने बाद। अगर लड़की की उम्र 15 साल से ज्यादा है, तो उसे तीन टीके लगते हैं... पहला शून्य डोज, दूसरा एक महीने बाद और तीसरा छह महीने बाद।

डॉ. पाठक ने आगे बताया कि तीसरा जरूरी टीका है एमएमआर, जो खसरा, गलसुआ और रूबेला से बचाता है। खासकर रूबेला एक ऐसा संक्रमण है जो गर्भावस्था में गर्भपात या बच्चे में जन्मजात विकृति का कारण बन सकता है। यदि यह टीका बचपन में नहीं लगा है, तो किशोर अवस्था में इसे जरूर लगवाना चाहिए।

चौथा टीका है चिकनपॉक्स का। अगर किसी लड़की को बचपन में चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, या इसका टीका नहीं लगा है, तो 11 साल की उम्र के बाद भी यह टीका लगवाया जा सकता है।

डॉ. पाठक ने कहा कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, चिकनपॉक्स का संक्रमण ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इससे निमोनिया, अंगों का काम बंद होना और गर्भावस्था में जटिलताएं हो सकती हैं।

पांचवां जरूरी टीका है हेपेटाइटिस बी का। यह लीवर से जुड़ी गंभीर बीमारी से बचाव करता है। अगर बचपन में यह टीका नहीं लगा है, तो किशोर किशोरावस्था में इसकी खुराक पूरी करनी चाहिए।

डॉ. मीरा पाठक ने कहा कि अगर किशोरावस्था में ही ये सभी जरूरी टीके लगा दिए जाएं, तो न केवल लड़कियां बीमारियों से बच सकती हैं, बल्कि उनका आने वाला मातृत्व भी सुरक्षित हो सकता है। ये टीके सिर्फ बीमारियों से बचाव नहीं करते, बल्कि समाज में इन रोगों के फैलने की गति को भी रोकते हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   23 Aug 2025 4:07 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story