राजनीति: बिहार चुनाव जाले विधानसभा में बदलते समीकरणों के बीच किसके हाथ आएगी बाजी?

पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)। दरभंगा जिले का जाले विधानसभा क्षेत्र उत्तर-मध्य मिथिला की राजनीति में एक अहम पहचान रखता है। यह विधानसभा सीट मधुबनी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और जाले प्रखंड के सभी पंचायतों के साथ-साथ सिंहवाड़ा प्रखंड के 25 ग्राम पंचायतों को मिलाकर बना है।
पूर्ण रूप से ग्रामीण स्वरूप वाले इस क्षेत्र का नाम स्थानीय धार्मिक स्थल जलेश्वरि स्थान से जुड़ा है। भौगोलिक दृष्टि से यह बागमती नदी के उत्तर में स्थित है और जिला मुख्यालय दरभंगा से लगभग 32 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम तथा राजधानी पटना से करीब 145 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में पड़ता है। मधुबनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, और समस्तीपुर जैसे बड़े शहर इसके आसपास हैं, जिनके साथ जाले की सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों का सीधा संबंध है।
1951 में स्थापित इस विधानसभा सीट पर अब तक 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2014 का उपचुनाव भी शामिल है। जाले की राजनीति का सबसे बड़ा पहलू इसकी विविधता और उतार-चढ़ाव भरी राजनीतिक यात्रा है। खास बात यह है कि यहां के मतदाताओं ने कभी भी किसी एक विचारधारा का लगातार समर्थन नहीं किया। यहां के मतदाताओं ने वामपंथ से लेकर दक्षिणपंथ तक सभी को मौका दिया है। कांग्रेस ने यहां शुरुआती तीन चुनावों में जीत दर्ज की और फिर 1985 व 1990 में वापसी की। भाजपा (पूर्व जनसंघ सहित) पांच बार विजयी रही, भाकपा ने चार, राजद ने दो, जबकि जनता पार्टी और जदयू ने एक-एक बार सफलता पाई।
यहां राजनीतिक परिवारों का दबदबा भी साफ दिखता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय कुमार मिश्र ने तीन बार जीत हासिल की, एक बार कांग्रेस से और दो बार भाजपा से। 2014 में जब उन्होंने भाजपा छोड़कर जदयू का दामन थामा, तो उपचुनाव हुआ और उनके पुत्र ऋषि मिश्र ने जदयू उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की। हालांकि, 2015 से भाजपा के जीवेश मिश्रा लगातार इस सीट पर काबिज हैं।
जाले की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है, जहां धान प्रमुख फसल है। बरसात के दिनों में बागमती नदी की बाढ़ यहां की बड़ी समस्या बन जाती है, जो हर साल ग्रामीण इलाकों को प्रभावित करती है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की सीमितता और रोजगार के अवसरों की कमी के कारण युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन होता है। रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में लोग दरभंगा, पटना, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों की ओर जाते हैं।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, जाले विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 5,43,593 है, जिनमें 2,84,686 पुरुष और 2,58,907 महिलाएं शामिल हैं। यहां कुल मतदाता 3,23,092 हैं, जिनमें 1,69,987 पुरुष, 1,53,098 महिलाएं और 7 थर्ड जेंडर शामिल हैं।
यहां की जनता का रुख अबकी बार किस ओर जाएगा, यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इतना तय है कि जाले का रण 2025 में भी उतना ही दिलचस्प और कांटे का होने वाला है, जितना इसके पिछले चुनावों का इतिहास रहा है।
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Created On :   28 Aug 2025 2:58 PM IST