जातियों के आधार पर लिए गए फैसले पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए संजय निषाद

जातियों के आधार पर लिए गए फैसले पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए  संजय निषाद
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने जातीय आधार पर रैलियों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर अपनी बातें रखी।

लखनऊ, 24 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने जातीय आधार पर रैलियों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर अपनी बातें रखी।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि जातीय आधार पर रैलियों का फैसला सही नहीं है और सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। हम इस मुद्दे पर सरकार को पत्र भी लिखेंगे।

संजय निषाद ने कहा कि न्यायालय का फैसला सभी को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन सामाजिक न्याय के लिए सरकार को इस पर विचार करना होगा।

उन्होंने कहा, "कुछ जातियों को अपराधी जाति (क्रिमिनल कास्ट) घोषित कर उनके साथ भेदभाव किया गया है। इन जातियों का गौरवशाली इतिहास रहा है, फिर भी इनके खिलाफ अमर्यादित भाषा और व्यंग्य का उपयोग बंद होना चाहिए।"

सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ समुदायों, जैसे दूध विक्रेता (मिल्कमैन) और चमड़ा व्यवसायी (लेदरमैन), को अधिक लाभ मिला, जबकि अन्य जातियां अपने हक से वंचित हैं। लोकतंत्र में प्रदर्शन और आवाज उठाना हर नागरिक का अधिकार है।

संजय निषाद ने जातिगत गणना की वकालत करते हुए कहा कि इससे इन जातियों की सामाजिक स्थिति का पता चल सकेगा। उन्होंने कहा, "जाति आधारित प्रमाण पत्र संविधान में मान्य हैं। अगर ये जातियां अपने हक की मांग करेंगी, तो सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का अनुपालन कैसे होगा? सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।"

संजय निषाद ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान की रिहाई के बाद सपा के रवैये पर सवाल उठाए। आजम खान ने अपनी रिहाई के समय सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के न पहुंचने पर नाराजगी जताई थी।

इस पर निषाद ने कहा, "सपा का यह दोहरा चरित्र है। आजम खान ने चार बार सपा की सरकार बनवाने में मदद की, लेकिन उनके साथ भेदभाव हुआ। अगर उनकी जगह कोई यादव होता, तो क्या ऐसा ही व्यवहार होता?"

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिंदू आबादी घटने की टिप्पणी का समर्थन करते हुए संजय निषाद ने कहा कि 750 साल के मुगल शासन और आक्रांताओं के नरसंहार के कारण हिंदू आबादी प्रभावित हुई। उन्होंने प्राचीन इतिहास के साथ-साथ मध्यकालीन इतिहास पर भी ध्यान देने की बात कही।

'आई लव मोहम्मद' कैंपेन पर बोलते हुए उन्होंने इसे संविधान की सहिष्णुता के खिलाफ बताया और कहा कि इस तरह के अभियान गरीब और लाचार लोगों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।

उन्होंने कहा कि पहले तलवार से त्योहार बनते थे, अब संस्कार से बनने चाहिए। धर्म के नाम पर लोगों को बांटना गलत है और इसका विरोध होना चाहिए।

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Created On :   24 Sept 2025 6:43 PM IST

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