स्वास्थ्य/चिकित्सा: गर्भाशय कैंसर के नए जीनोमिक जोखिम कारकों का शोध में चला पता

गर्भाशय कैंसर के नए जीनोमिक जोखिम कारकों का शोध में चला पता
एक रिसर्च में गर्भाशय कैंसर के नए कारक का पता चला है।

नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। एक रिसर्च में गर्भाशय कैंसर के नए कारक का पता चला है।

ये रिस्क फैक्टर डीएनए में पाए गए हैं, जो ट्यूमर को बढ़ाने का काम करते हैं। ये गर्भाशय की लाइनिंग में मौजूद रहते हैं।

गर्भाशय का कैंसर महिलाओं में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जिसे एंडोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है। दुनिया भर में हर साल लगभग 4 लाख महिलाओं को ये बीमारी होती है। इनमें से करीब 1 लाख महिलाओं की इससे मृत्यु हो जाती है।

इसके जोखिम कारकों में मोटापा, मधुमेह और सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन का उच्च स्तर शामिल है। उम्र के साथ एंडोमेट्रियल कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।

जर्मनी के हनोवर मेडिकल स्कूल (एमएचएच) की टीम ने जीनोम में 5 नए स्थानों की खोज की है जो एंडोमेट्रियल कैंसर को बढ़ाने में मदद करते हैं। ईबायोमेडिसिन मैगजीन में प्रकाशित निष्कर्षों ने एंडोमेट्रियल कैंसर के ज्ञात जीनोमिक जोखिम कारकों की संख्या 16 से बढ़ाकर 21 कर दी।

एमएचएच में स्त्री रोग अनुसंधान इकाई की प्रमुख डॉ. थिलो डॉर्क बुसेट ने कहा, "यह हमें वंशानुगत गर्भाशय कैंसर के जोखिम का यथासंभव सटीक अनुमान लगाने के हमारे लक्ष्य के एक कदम और करीब लाता है।"

डॉर्क बुसेट ने आगे कहा, "जितने अधिक जीन हमें इसके लिए जिम्मेदार लगते हैं, उतनी ही सटीकता से हम किसी महिला में एंडोमेट्रियल कैंसर होने की संभावना की गणना कर सकते हैं।"

इस अध्ययन के लिए टीम ने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय बायो बैंक से आनुवंशिक डेटा एकत्र किए और एंडोमेट्रियल कैंसर से पीड़ित 17,000 से अधिक रोगियों में आनुवंशिक परिवर्तनों की तुलना लगभग 2,90,000 स्वस्थ महिलाओं के जीनोम से की।

इसके बाद इन परिणामों को एक रिसर्च में ही शामिल दूसरे प्रतिभागियों के एक समूह में सत्यापित किया गया। टीम ने नए रिस्क जीन नेविगेटर-3(NAV3) का अध्य्यन किया था।

एमएचएच की बायोलॉजिस्ट डा. धन्या रामचंद्रन ने कहा, "ये परिणाम बताते हैं कि नेविगेटर-3 NAV3 सामान्यत, एंडोमेट्रियम में कोशिका वृद्धि को सीमित करता है और इस प्रकार एक तथाकथित ट्यूमर सप्रेसर जीन के रूप में कैंसर के निर्माण को रोकता है।"

टीम ने कहा कि यह शोध संभावित निवारक रणनीतियों और नए चिकित्सीय दृष्टिकोणों को विकसित करने में मदद कर सकता है।

–आईएएनएस

जेपी/जीकेटी

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Created On :   8 Aug 2025 4:40 PM IST

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