बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ: दिल्ली में झुग्गियों को हटाने के विरोध प्रदर्शन में पहुंची पूर्व सीएम आतिशी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

दिल्ली में झुग्गियों को हटाने के विरोध प्रदर्शन में पहुंची पूर्व सीएम आतिशी, पुलिस ने किया गिरफ्तार
  • एंटी-डिमोलिशन प्रदर्शन में शामिल हुई आतिशी
  • दिल्ली पुलिस ने कालकाजी के भूमिहीन कैंप से हिरासत में लिया
  • आतिशी ने सीएम रेखा गुप्ता और बीजेपी सरकार पर लगाई कई गंभीर आरोप
  • साल 2015 और 2019 में हुआ था सर्वे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में झुग्गियों को हटाने के लिए हो रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और आप नेता आतिशी भी मंगलवार को कालकाजी स्थित भूमिहीन कैंप में विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंची।

आप नेता यहां एंटी-डिमोलिशन प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने उन्हें कालकाजी के भूमिहीन कैंप से हिरासत में ले लिया। पुलिस की ओर से हिरासत में लिए जाने के दौरान आतिशी ने दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता और बीजेपी सरकार कई गंभीर आरोप लगाए।

पूर्व सीएम आतिशी ने कहा बीजेपी कल इन झुग्गियों को तोड़ने वाली है और मुझे आज जेल में लेकर जा रही है क्योंकि मैं इन झुग्गीवासियों की आवाज उठा रही हूं। 'बीजेपी और रेखा गुप्ता को झुग्गी वालों की हाए लगेगी'...बीजेपी कभी वापस नहीं आएगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकारी जमीन पर बनी झुग्गी-झोपड़ियों (जेजे क्लस्टर) पर बुलडोजर चलाने का रास्ता साफ कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में भूमिहीन कैंप के सिर्फ एक निवासी के पुनर्वास को मंजूरी दी है। वहीं, 1,355 निवासियों की पुनर्वास याचिका खारिज की गई थी। कोर्ट ने कहा एक निवासी को छोड़कर बाकी अन्य याचिकाकर्ता निवासियों का दावा तय मानकों पर खरा नहीं उतरा है, इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने एक निवासी के पुनर्वास की मंजूरी तो दी, लेकिन उसकी हर्जाना मांगने की दलील को खारिज कर दिया । हाईकोर्ट ने डीडीए से कहा कि वह छह सप्ताह के भीतर राहत पाने वाले याचिकाकर्ता के लिए वैकल्पिक निवास की व्यवस्था करे।

आपको बता दें जस्टिस धर्मेश शर्मा की ग्रीष्मकालीन बेंच ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से साफ कहा वो भूमिहीन कैंप को तोड़ने के लिए आजाद है। जबकि याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि वह कई सालों से वहां रह रहे है, सरकार को उन्हें पुर्नस्थापित करने के निर्देश दिए जाएं। बेंच ने आदेश में साफ कहा कि संबंधित विभाग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाले परिवार ही पुनर्वास नीति का लाभ पाने के हकदार हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य अथवा केन्द्र सरकार की किसी तय नीति में बदलाव का अधिकार अदालती सिस्टम को नही है। हाईकोर्ट ने आगे कहा किसी भी याचिकाकर्ता को जेजे क्लस्टर पर लगातार कब्जा जारी रखने का कानूनी अधिकार नहीं है।

हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने कहा कि वह सिर्फ राजधानी के उन निवासियों के पुनर्वास पर विचार कर सकते हैं, जो उनके अधिकार क्षेत्र की भूमि पर रहते हैं। भूमिहीन कैंप केन्द्र सरकार की जमीन है। ऐसे में वह इस केस में कुछ नहीं कर सकता। याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2012 से 2015 के बीच संबंधित जेजे कलस्टर का मतदाता पहचान पत्र भी वहां के निवास के प्रमाणपत्र माना जाएगा।

Created On :   10 Jun 2025 2:16 PM IST

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