दिल्ली में डबल इंजन सरकार, आसान नहीं होगी आप की राह

Double engine government in Delhi, your path will not be easy
दिल्ली में डबल इंजन सरकार, आसान नहीं होगी आप की राह
नई दिल्ली दिल्ली में डबल इंजन सरकार, आसान नहीं होगी आप की राह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजधानी के लोगों ने आम आदमी पार्टी को सबसे बड़े शहरी नागरिक निकाय दिल्ली नगर निगम को चलाने के लिए स्पष्ट जनादेश दिया है। चूंकि 10 साल पहले पार्टी की स्थापना के बाद से आप निगम में सत्ता में नहीं रही है, इसलिए एमसीडी चलाना उनके लिए आसान नहीं होगा।

आप के पूरे अभियान की रणनीति दिल्ली को कचरे के तीन पहाड़ों से छुटकारा दिलाने और एमसीडी को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने पर केंद्रित थी। जैसा कि परिणाम दिखाते हैं, दिल्ली के लोगों ने स्वच्छता और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आप को जनादेश दिया। एमसीडी पर पिछले 15 साल से भारतीय जनता पार्टी का शासन था और इस अभियान में भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रमुखता से गूंजा।

आप को 134 वार्ड मिले, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को 104 वार्ड मिले। कांग्रेस ने कुल 250 वाडरें में से 9 सीटों पर जीत हासिल की। स्पष्ट बहुमत के साथ आप बीजेपी से एमसीडी की बागडोर अपने हाथ में लेने के लिए पूरी तरह तैयार है।

एमसीडी के पुन:एकीकरण के बाद सुचारू रूप से कार्य करने के लिए इसे 12 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। कुल 12 जोन में से 7 जोन पर आप का नियंत्रण होगा, जबकि 4 जोन पर भाजपा का और एक जोन में कांग्रेस पार्षदों की अहम भूमिका होगी। एक जोन वार्ड समिति द्वारा शासित होता है, जो बाद में स्थायी समिति के लिए सदस्यों का चुनाव करती है। इस समिति की निगम के प्रशासनिक और वित्तीय निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

आप शासित एमसीडी को प्रचार के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के पार्षद भी बहुमत के करीब हैं। ऐसे में उनके लिए यह काम आसान नहीं होगा।

आप के लिए दूसरी चुनौती एमसीडी के लिए मेयर का चयन है। जैसा कि मेयर का चुनाव वित्तीय वर्ष की पहली बैठक में ज्यादातर अप्रैल में होता है, आप को यह सोचने की जरूरत है कि क्या वह वित्तीय वर्ष के शेष तीन महीनों के लिए महापौर का चुनाव करेगी या अगले वित्तीय वर्ष की शुरूआत का इंतजार करेगी।

मार्च में होने वाले एमसीडी चुनाव में तीन एमसीडी के एकीकरण के कारण आठ महीने की देरी हुई थी। अगर आप अब मेयर चुनने का फैसला करती है तो पार्टी की पहली बैठक का कार्यक्रम बदलने और अप्रैल से अब दिसंबर तक मेयर की नियुक्ति के लिए पार्टी को केंद्र से संपर्क करना होगा।

चूंकि दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच धन की अनुपलब्धता को लेकर हमेशा आमना-सामना रहा है, इसलिए केंद्र में भाजपा और आप के बीच वित्तीय सहायता का मुद्दा भी उठ सकता है।

प्रचार अभियान के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर पिछले निकाय चुनाव में झूठा वादा करने का आरोप लगाया था कि उसे सीधे केंद्र से पैसा मिलेगा। केजरीवाल ने दावा किया था कि पिछले पांच सालों में एक रुपया भी नहीं आया है।

केजरीवाल ने कहा, उन्होंने (भाजपा) पिछले चुनाव के दौरान दावा किया था कि केजरीवाल दिल्ली नगर निगम को ठीक से फंड नहीं देते हैं और वे अब केंद्र से फंड मांगेंगे। पांच साल हो गए हैं। केंद्र सरकार और एमसीडी एक ही पार्टी द्वारा चलाए जा रहे थे। फिर भी, केंद्र ने उन्हें निगम चलाने के लिए एक भी पैसा नहीं दिया है।

फंड मैनेजमेंट के सवाल पर उन्होंने कहा कि पैसे की व्यवस्था करना उनकी जिम्मेदारी होगी। केंद्र ने दिल्ली सरकार के लिए निर्धारित धन को रोक रखा था, लेकिन काम कभी नहीं रुका। उन्होंने कहा था कि केंद्र से फंड नहीं आने से हम अपना काम नहीं रोक देते।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   11 Dec 2022 12:30 PM IST

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