संविधान की प्रस्तावना: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, प्रस्तावना को बताय संविधान का बीज

- प्रस्तावना में शामिल समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा करने का मुद्दा आरएसएस ने उठाया
- राष्ट्रीय स्व्यंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने दिया था बयान
- आरएसएस बाबा साहेब के संविधान को मानती नहीं-कांग्रेस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।संविधान की प्रस्तावना को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। उपराष्ट्रपति ने प्रस्तावना को संविधान का बीज बताया। इसी पर पूरा दस्तावेज विकसित होता है। उपराष्ट्रपति ने कहा भारत के अलावा किसी अन्य देश के संविधान की प्रस्तावना में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। उपराष्ट्रपति ने आपातकाल को लेकर भी पूर्ववर्ती सरकार पर बड़ा हमला बोला है।
उन्होंने एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना को 1976 के 42वें संविधान (संशोधन) अधिनियम द्वारा बदला गया। प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता जैसे शब्द जोड़े गए। उन्होंने इन पर पुन: विचार करने की बात कही। उन्होंने आगे कहा कि बीआर आंबेडकर ने संविधान पर विशेष मेहनत की थी और उन्होंने इस पर भी ध्यान केंद्रित किया होगा।
आपको बता दें आरएसएस ने इससे पहले संविधान की प्रस्तावना में शामिल समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा करने का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। आरएसएस ने कहा था कि इन शब्दों को आपातकाल के दौरान संविधान में शामिल किया गया था और ये कभी भी आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे। राष्ट्रीय स्व्यंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में हुए बदलावों को हटाने के साथ-साथ कांग्रेस से माफी मांगने की मांग की थी। कांग्रेस संघ पर संविधान के ना स्वीकार करने का आरोप लगाती है।
संघ से जुड़ी वीकली पत्रिका ऑर्गेनाइजर में प्रकाशित आर्टिकल में कहा गया कि कांग्रेस की तरफ से आपातकाल के दौरान किए गए 42वें संशोधन से ये शब्द संविधान में जोड़े गए थे, जो कि संविधान सभा की मूल भावना या बहसों का हिस्सा नहीं थे। प्रस्तावना में इन शब्दों के जुड़ने को संघ ने कांग्रेस की एक राजनीतिक चाल बताया।
Created On :   28 Jun 2025 3:06 PM IST