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MP News: गृह निर्माण सोसाइटी में फर्जीवाड़ा के आरोप में क्रेडाई अध्यक्ष मनोज मीक, सहकारिता उपायुक्त सहित 7 के खिलाफ केस दर्ज

ईओडल्ल्यू ने दो महिलाओं सहित 7 को भी आरोपी बनाया। सोसायटी के आरोपी सदस्यों ने बिल्डर से सांठगांठ कर फर्जी सदस्य और दस्तावेज तैयार कर संस्थापक सदस्यों को बाहर कर दिया। इसमें सहकारी विभाग के अधिकारियों ने भी अवैध लाभ लिया। जून 2008 को गौरव गृह निर्माण सहकारी संस्था, भोपाल के मूल संस्थापक सदस्यों ने ईओडब्ल्यू, में शिकायत की थी। इसकी जांच में पाया गया कि तत्कालीन अध्यक्ष संतोष जैन और उनके सहयोगियों पर संस्था संचालन, भूखण्ड विकास एवं वितरण में आर्थिक अनियमितताएं, कूटरचना, फर्जी सदस्यता और करोड़ों की जमीन के अनियमित हस्तांतरण किया। 1999 में चुनाव में अनियमितता कर अध्यक्ष बने संतोष जैन ने कार्यकाल खत्म होने के बाद भी संस्था पर अवैध कब्जा बनाए रखा। अक्टूबर 2005 में नियमों का उल्लंघन कर बिना आमसभा अनुमोदन के आठ फर्जी सदस्य बना लिए। ईओडब्ल्यू ने संतोष जैन सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।
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संस्था की पांच एकड़ जमीन पर विकास कार्य हेतु तत्कालीन अध्यक्ष संतोष जैन ने 30 जून 2004 को मेसर्स शुभालय विला से बिना निविदा प्रक्रिया, बिना आमसभा की अनुमति तथा मूल सदस्यों की जानकारी के अनुबंध करते हुए अधिकांश भूमि बिल्डर को सौंप दी। और केवल 44 प्लॉट मूल सदस्यों के लिए छोड़े गए। साथ ही प्लॉटो का आकार 2400/1500 वर्गफीट से घटाकर 1200 वर्गफीट कर दिया गया। जांच में सामने आया कि संस्था द्वारा किये गये अनुबंध पत्र के पहले तीन पृष्ठ कूटरचित थे, जिन पर गवाहों के हस्ताक्षर नहीं थे। संतोष जैन ने संस्था की आमसभाओं के प्रस्तावों में कूट रचना कर खुद को बिल्डर से एग्रीमेंट के लिए अधिकृत बताते हुए शुभालय विला से फर्जी अनुबंध किया। बाद में उन्होंने मंगलमय और प्रियदर्शनी बिल्डर्स के नाम से फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किए,जिन्हें संबंधित संचालकों ने अस्वीकार किया।
44 सदस्यो को नहीं मिले प्लॉट, 49 नये सदस्य बनाएं
जांच में सामने आया कि संस्था के 44 मूल सदस्यों को उनके प्लॉट आवंटित नहीं किए गए, जबकि बाद में नियमों को दरकिनार करते हुए 49 नए सदस्यों को जोड़ा गया। जिनमें कुछ सहकारिता निरीक्षक और अन्य प्रभावशाली व्यक्ति भी शामिल थे। इन नए सदस्यों को मनमाने ढंग से प्लॉट आवंटित और विक्रय कर दिए गए। इन प्लॉटो की बिक्री से प्राप्त रकम का कोई लेखा-जोखा संस्था द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। वहीं प्लॉटो का साइज घटाने के संबंध में भी संस्था की आमसभा से कोई प्रस्ताव या अनुमोदन नहीं लिया गया।
जांच में पता चला कि तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त बबलू सातनकर ने भी मदद करते हुए पत्नि के नाम प्लॉट ले लिया। जो प्लॉट नगर निगम में बंधक रखे थे, उन्हें भी बेच दिया। तत्कालीन सहकारिता उपायुक्त बबलू सातनकर ने संस्था की गड़बड़ियो को नजरअंदाज किया और पत्नी सुनिता सातनकर को अवैध रूप से संस्था का सदस्य बनवाकर प्लॉट नंबर 7 की रजिस्ट्री करवाई। तत्कालीन अध्यक्ष अनिता बिस्ट भट्ट ने भी संतोष जैन को समर्थन देते हुए भूखण्डों की अवैध बिक्री में सहयोग किया।
Created On :   11 Oct 2025 4:40 PM IST