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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में यूनानी डाक्टर क्यों नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नेशनल हेल्थ मिशन प्रोग्राम के तहत राज्य के पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवकों (कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर) की नियुक्ति में यूनानी डाक्टरों को शामिल न किए जाने के मुद्दे पर राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है। यूनानी डाक्टरों की पंजीकृत संस्था इंटीग्रेटेड मेडिसिन प्रैक्टिशनर एसोसिएशन ने इस विषय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में सरकार की ओर से जारी उस विज्ञापन को चुनौती दी गई जिसके तहत स्वास्थ्य सेवक पद के लिए सिर्फ बीएएमएस डाक्टरों से आवेदन मंगाए गए थे। याचिका में सरकार के इस कदम को मनमानी व भेदभाव पूर्ण बताया गया है। याचिका के अनुसार केंद्र सरकार ने यूनानी व आयुर्वेदिक दोनों को मान्यता दी है और इन दोनों विषयों की पढ़ाई करनेवाले लोगों को एलोपैथी मेडिसिन की प्रैक्टिस की अनुमति भी मिली है।
याचिका के अनुसार राष्ट्रीय ग्रामीण हेल्थ मिशन के तहत 1336 कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर पद के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। नियमों के तहत यूनानी व आयुर्वेदिक डाक्टरों को एक समान माना गया है। ऐसे में इस पद पर नियुक्ति के लिए यूनानी डाक्टरों को शामिल न करना नियमों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण हेल्थ मिशन व नेशनल हेल्थ मिशन प्रोग्राम दोनों केंद्र सरकार की योजनाएं हैं। दोनों योजनाओं को केंद्र सरकार वित्तीय सहयोग देती है। ये योजनाएं राज्य के पिछड़े ग्रामीण इलाकों में रहनेवाली महिलाओं को व बच्चों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लक्ष्य के साथ बनाई गई हैं। याचिका में उदाहरण स्वरुप कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में भी नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कम्यूनिटी हेल्थ प्रोवाइडर पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इस विज्ञापन में यूनानी डाक्टरों को भी शामिल किया गया है।
Created On :   8 Oct 2018 12:59 AM IST