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इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में बदलाव से यूनिवर्सिटी फिर विवादों में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग (बीई) पाठ्यक्रम में प्रस्तावित बदलाव विवादों में घिर गया है। यूनिवर्सिटी के अधिष्ठाता डॉ. जी.एस. खडेकर और यूनिवर्सिटी प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगा कर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कुलगुरु व अन्य संबंधित अधिकारियों को अपना इस्तीफा सौंपा है। सदस्यों के अनुसार नागपुर विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में ऐसे बदलाव करने जा रहा है जो इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए घातक है।
यहां तक कि, इससे प्रत्येक इंजीनियरिंग कॉलेज से कम से कम 4 इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग शिक्षक यानी नागपुर यूनिवर्सिटी से संलग्न कॉलेजों से करीब 200 शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी। बीओएस सदस्यों ने कई बार विविध स्तरों पर अपनी आवाज उठाई, लेकिन जब किसी ने उनकी बात नहीं सुनी, तो उनके पास इस्तीफा देने का ही विकल्प शेष रह गया। बता दें कि, विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम से बदलाव का कोई भी फैसला संबंधित विषय के बोर्ड ऑफ स्टडी की मुहर के बाद ही होता है, लेकिन इस मामले में सदस्यों का आरोप है कि, यूनिवर्सिटी के कुछ अधिकारी बोर्ड ऑफ स्टडी को दरकिनार करके बदलाव लाने का प्रयास कर रहे थे।
नए पाठ्यक्रम में यह समस्या
करीब दो वर्ष पूर्व एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए दिशा-निर्देश और मॉडल पाठ्यक्रम जारी किया। विश्वविद्यालय को इसके दायरे में रह कर अपना पाठ्यक्रम अपडेट करना था। बीओएस सदस्यों के अनुसार विश्वविद्यालय ने अधिष्ठाता डॉ.जी.एस. खडेकर के नेतृत्व में बेसिक साइंस के शिक्षकों को लेकर समिति गठित की। समिति ने इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में कई अनाप-शनाप बदलाव का प्रस्ताव पेश किया। अपने फायदे के विषयों का महत्व बढ़ाने के लिए उनका क्रेडिट दोगुना कर दिया। वहीं इलेक्ट्रिकल व अन्य जरूरी विषयों के क्रेडिट घटा दिए गए। कई प्रैक्टिकल पाठ्यक्रम को थ्योरी में बदल दिया। पाठ्यक्रम को करीब 40 प्रतिशत तक बदलने का प्रस्ताव दे दिया। उस वक्त बोर्ड ऑफ स्टडीज के विरोध के कारण तत्कालीन कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने बदलाव पर रोक लगा दी थी।
नए कुलगुरु डॉ. चौधरी से नाराजगी
बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्यों के अनुसार नए कुलगुरु डॉ. एस.आर. चौधरी ने पदभार संभाला तो समिति ने एक बार फिर अपनी सिफारिशें उनके सामने रख दीं। डॉ. चौधरी ने भी नया पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी शुरू कर दी। इसके लिए बोर्ड ऑफ स्टडीज को ही नजरअंदाज करने लगे। बोर्ड के सदस्यों पर निजी रूप से दबाव आने लगा। वहीं एकेडेमिक काउंसिल के सदस्यों को यह सूचना दी गई कि, यदि वे नया पाठ्यक्रम मंजूर कर लें, तो बोर्ड ऑफ स्टडीज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
किसी को नजरअंदाज नहीं किया
इंजीनियरिंग का नया पाठ्यक्रम तय करते वक्त किसी बोर्ड को नजरअंदाज नहीं किया। नए पाठ्यक्रम में किसी की नौकरी नहीं जाएगी, बल्कि एक्टिविटी बढ़ने से ज्यादा स्टाफ की जरूरत पड़ेगी। -डॉ. सुभाष चौधरी, कुलगुरु नागपुर यूनिवर्सिटी
Created On :   4 Sept 2020 4:20 PM IST