जगदलपुर : वन अधिकार पत्र बना बेसहारों का सहारा
डिजिटल डेस्क, जगदलपुर। बस्तर जिले के 40 हजार 85 परिवारों के जीवन सुधार का बना जरिया जगदलपुर 27 जुलाई 2020 राज्य सरकार द्वारा वन भूमि में वर्षों से काबिज होकर खेती-किसानी करने वाले लोगों को वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान करने की महत्वाकांक्षी योजना राज्य व जिले के अनेक भूमिहीन, बेसहारा एवं गरीब ग्रामीण लोगों के लिए सहारा बन गया है। इस योजना के फलस्वरूप अनेक जरूरतमंद लोग जिनके पास या तो खेती योग्य बिल्कुल भी जमीन नहीं है या फिर बिल्कुल कम जमीन है ऐसे लोगों के मन में अपने सुखद जीवन को लेकर नया आशा का संचार हुआ है। आदिवासी बाहुल्य बस्तर जिले के लोगों को भी इस योजना का अच्छा प्रतिसाद मिला है। बस्तर जिले में इस योजना से अब तक कुल 40 हजार 85 हितग्राही लाभान्वित हो चुके है। इसके तहत् 34 हजार 566 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र और 5 हजार 519 सामुदायिक वन अधिकार पत्रक शामिल है। जिले में वन अधिकार अधिनियम 2006 के अन्तर्गत सातों विकासखण्ड में वितरित भूमि पर भूमि विकास से संबंधित कई कार्य किए गए हैं। जिसमें 7 हजार 447 हितग्राहियों के भूमि समतलीकरण और मेढ़ बंधान कार्य, 26 हजार 250 हितग्राहियों को खाद एवं बीज हेतु सहायता राशि, 05 हितग्राहियों को कृषि उपकरण क्रय करने के लिए सहायता राशि, 103 हितग्राहियों को किसान समृद्धि अन्तर्गत सिंचाई कार्य के लिए नलकूप खनन और 93 किसानों को सिंचाई हेतु स्प्रिंकलर का वितरण किया गया है। साथ ही वन अधिकार पत्र प्राप्त 9 हजार 744 हितग्राहियों को इंदिरा आवास की स्वीकृति भी दी गई है। प्रधानमंत्री किसान किताब सम्मान निधि योजना से 8 हजार 721 व्यक्तिगत पंजीकृत वन अधिकार पत्रक धारक को लाभ मिला है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में मिले आवेदनों को पुनर्विलोकन करने के लिए सभी राजस्व एवं जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देशित कर ग्राम सभा आयोजन करने के निर्देश दिए हैं। अब तक वन अधिकार मान्यता पत्र के लिए बस्तर जिले के सातों तहसीलों में 584 ग्राम सभा का आयोजन किया गया है। इस योजना के फलस्वरूप जंगल जमीन का मालिकाना हक मिलने से वर्षों से वन भूमि में काबिज होकर माटी-महातारी सेवा कर रहे बस्तर जिले के आदिवासियों में सर्वस्त्र हर्ष व्याप्त है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ सरकार को हृदय से धन्यवाद देते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया है। इस योजना की सराहना करते हुए बस्तर जिले के बकावण्ड विकासखण्ड के ग्राम चारगांव के आदिवासी किसान सोमन ने कहा कि इस योजना से उनके जीवन का कायाकल्प हो गया है। उन्होंने बताया कि कभी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मुश्किल से दाना-पानी की व्यवस्था करने और जमीन की मालिकाना हक नहीं मिलने से उसे हमेशा चिंता बनी रहती थी, जो अब दूर हो गई है। वे आज कुल 4.25 हेक्टेयर कृषि भूमि के मालिक बन गए हैं। इस वन अधिकार से प्राप्त जमीन से इस वर्ष उसे मक्के की फसल से 39 हजार 200 रूपए, धान की फसल से 30 हजार 400 रूपए और दलहन फसलों से 6 हजार से अधिक राशि की आमदनी हुई है। इसी प्रकार वन अधिकार मान्यता पत्रक योजना की सराहना जिले के तोकापाल विकासखण्ड के ग्राम ऐरण्डवाल के हितग्राही चन्द्ररू, हिड़मे, जगरी, मंगलू, ग्राम मंडवा के रामलाल एवं पांडू ने भी सराहना की है। उन्होंने राज्य सरकार को इस निर्णय को गरीब एवं किसान हितैषी निर्णय बताते हुए मुक्तकंठ से सराहना की है।
Created On :   28 July 2020 2:45 PM IST