उर्दू एवं अन्य भाषाएँ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित!

Organized one day seminar on Urdu and other languages.
उर्दू एवं अन्य भाषाएँ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित!
एक दिवसीय सेमिनार उर्दू एवं अन्य भाषाएँ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित!

डिजिटल डेस्क | उमरिया उर्दू अकादमी द्वारा "उर्दू एवं अन्य भाषाएँ" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार राज्य संग्रहालय में आयोजित किया गया। देश के प्रसिद्ध विद्वानों और वरिष्ठ साहित्यकारों ने शिरकत की। अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि अनुवाद में रुचि रखने वाले शोधार्थियों के लिए यह सुनहरा मौका है कि वो सेमिनार अनुवाद की परंपरा और महत्व के बारे में जानें। सेमिनार दो सत्रों में आयोजित की गई। पहला सत्र सुबह 11 बजे से प्रारंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ. रजि़या हामिद और नईम कौसर ने की।

साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे ने कहा कि अनुवादकों को अनुवाद करते समय भाषा के साथ साथ संस्कृति का ध्यान भी रखना चाहिए। हमारी भाषा के शब्द भंडार को समृद्ध करने के लिए विदेशी भाषाओं के मोहताज न बनते हुए भारतीय भाषाओं से नए शब्द लेना चाहिए। भाषाविदों को शब्द शास्त्री भी होना चाहिए ताकि समय आने पर वह अपनी ही भाषा के नए शब्द गढ़ सकें। बनारस के वरिष्ठ साहित्यकार और अनुवादक डा याकूब यावर ने कहा कि अनुवाद एक कला है और अन्य कलाओं की तरह ये भी बुद्धिमत्ता, कठिन परिश्रम एवं रचनात्मक उपज का तकाज़ा करता है।

चंडीगढ़ के डॉ. नरेश ने तहजीबी केंद्रीय धारा कायम करने के लिए भाषा के लिए एक सैल बनाये जाने का आग्रह किया जो क्षेत्रीय भाषा के श्रेष्ठ साहित्य को हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं में प्रकाशित करे। दिल्ली के वरिष्ठ साहित्यकार खलील उर रहमान ने कहा कि उर्दू ज़बान भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी जबान बन कर जवान हुई है। समाज के हर फिरके, हर तबक़े ने उसको मोहब्बत से अपनाया है, इसलिए उर्दू भाषा हर जमाने में हिन्द इस्लामी साहित्यिक परंपराओं के साथ-साथ यहां की प्राचीन व महान हिन्दू संस्कृति की साहित्यिक एवं सामाजिक परंपराओं में भी शामिल रही।

सूफ़ीवाद के साथ हिन्दू फ़लसफ़ा इसका इल्मी सरमाया बन गया। अलीगढ़ की अज़रा नकवी ने अपने अनुवाद के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनका अनुभव अंग्रेज़ी से उर्दू अनुवाद का रहा है। जिस ज़बान से अनुवाद किया जा रहा है और जिस ज़बान में किया जा रहा है उन दोनों ज़बानों का पूर्णतः ज्ञान होना आवश्यक है। दूसरे सत्र के आखिर में आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित हुई भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मान राशि और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंबर आबिद ने किया।

Created On :   28 Oct 2021 4:52 PM IST

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