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पेंच टाईगर रिजर्व बनेगा ईको सेंसेटिव जोन

- इसमें इस क्षेत्र के अंदर आने वाले 108 गांव भी शामिल किये गये हैं।
- आगामी 21 जुलाई
- 2018 के बाद यह पूरा क्षेत्र विधिवत रुप से ईको सेंसेटिव जोन का रूप ले लेगा।
- इसके लिये भारत सरकार के पर्यावरण
- वन और जलवायु मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है।
- देश के छिंदवाड़ा एवं सिवनी जिले में स्थित पेंच टाईगर रिजर्व जो कि 1 हजार 180.63 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है
- इसे ईको सेंसेटिव जोन बनाया जा रहा है।
संजय प्रकाश शर्मा. भोपाल। देश के छिंदवाड़ा एवं सिवनी जिले में स्थित पेंच टाईगर रिजर्व जो कि 1 हजार 180.63 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, इसे ईको सेंसेटिव जोन बनाया जा रहा है। इसके लिये भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। आगामी 21 जुलाई, 2018 के बाद यह पूरा क्षेत्र विधिवत रुप से ईको सेंसेटिव जोन का रूप ले लेगा। इसमें इस क्षेत्र के अंदर आने वाले 108 गांव भी शामिल किये गये हैं।
पेंच टाईगर रिजर्व में इंदिरा प्रियदर्शिनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान और पेंच मोगली अभ्यारण्य भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने वन्य प्राणियों की आवाजाही तथा उनके विचरण में कोई बाधा न आये, इसके लिये ईको सेंसेटिव जोन बनाये जाने के आदेश दे रखे हैं। पेंच टाईगर रिजर्व की आर्द भूमि पक्षी-जीवों के संरक्षण के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल आवासीय पक्षियों के लिये उपयुक्त आवास प्रदान करता है बल्कि कई जल मुर्गाबियों के लिये शीत भूमि भी प्रदान करता है। तोतलादोह जलाशय के द्वीपों में घोंसले बनाने वाले पक्षियों जैसे रिवर टर्न, स्माल प्रटैंकोल एवं लिटिल टर्न के लिये घोंसले का मैदान प्रदान करता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र में शामिल किया गया है।
ईको सेंसेटिव जोन में ये काम नहीं हो सकेंगे :
- नये होटल एवं रिजॉर्ट नहीं बन सकेंगे। बड़े वाणिज्यिक और आवासीय परिसरों संबंधी औद्योगिक क्रियाकलापों के लिये वन भूमि का परिवर्तन नहीं हो सकेगा। ध्वनि एवं वायु प्रदूषण नहीं हो सकेगा। खनन पर रोक रहेगी।
- नई आरा मशीनें स्थापित नहीं हो सकेंगी। प्लास्टिक के थैलों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। परन्तु स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं के लिये मौजूदा सड़कों को चौड़ा किया जा सकेगा एवं उसका सुदृढ़ीकरण एवं नई सड़कों का निर्माण हो सकेगा।
जबलपुर संभागायुक्त होंगे निगरानी समिति के अध्यक्ष :
उक्त ईको सेंसेटिव जोन की प्रभावी निगरानी के लिये एक निगरानी समिति गठित की जायेगी जिसके अध्यक्ष जबलपुर संभाग के आयुक्त होंगे जबकि राज्य प्रदूषण बोर्ड का प्रतिनिधि, राज्य सरकार द्वारा नामित एक एनजीओ, राज्य वन विभाग का एक प्रतिनिधि, राज्य सरकार द्वारा नामित जैव विविधता का एक विशेषज्ञ, एक पर्यावरणविद सदस्य होंगे जबकि संरक्षित क्षेत्र का भार साधक सदस्य सचिव होगा।
इनका कहना है :
‘‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राज्य के वन अभ्यारण्यों को उसमें रहने वाले वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया जा रहा है।’’
- बीके मिश्रा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संरक्षण मप्र
Created On :   24 May 2018 1:43 PM IST