नेत्रहीनों को लेकर संवेदनशील बने रिजर्व बैंकः हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। नए नोटों व सिक्कों को पहचानने में नेत्रहीनों को आ रही समस्या के प्रति रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को संवेदनशील होने की आवश्यकता है। बांबे हाईकोर्ट ने नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त बात कही है। याचिका में मुख्य रूप से नेत्रहीनों को नए नोटों व सिक्कों को पहचानने में आ रही दिक्कतों को उठाया गया है। याचिका के मुताबिक आरबीआई व मिंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया नए नोटों व सिक्कों में ऐसा कोई चिन्ह उपलब्ध कराने में विफल रहा है,जिससे दृष्टिबाधित लोग आसानी से करंसी नोट की पहचान कर सके। बता दें कि मिंट कार्पोरेशन सिक्के तैयार करने की कार्य करती है। याचिका में दावा किया गया है कि सामान्य व्यक्ति भी नए सौ रुपए व 500 रुपए के नए नोट के बीच आसानी से अंतर नहीं कर सकता है।
याचिका के अनुसार साल 2016 से नेत्रहीनों को नोट व सिक्कों की पहचान से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद नेत्रहीनों की इस समस्या को लेकर आरबीआई व मिंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय वारुंजेकर ने कहा कि आरबीआई नेत्रहीनों की मुद्रा की पहचान से जुड़ी समस्या के समाधान को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है,जबकि आरबीआई चाहे तो इस विषय पर कई सुधारात्मक कदम उठा सकता है। वहीं आरबीआई की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटेश धोंड ने कहा कि करंसी नोटों व सिक्कों को पहचानने से जुड़ी समस्या को लेकर आरबीआई ने नेत्रहीनों के कई संगठनों से चर्चा की है और परामर्श लिया है। नेत्रहीनों को सौ रुपए के नोट को पहचानने में आसानी हो इसके लिए सौ रुपए की नोट की डिजाइन,आकार व ब्लीड लाइन में कुछ विशेषताओं को जोड़ा गया है। यह नेत्रहीनों के लिए काफी मददगार साबित होगा।
प्रिंटिंग आधारित भी बदलाव किया गया है। जिससे 20 रुपए व 50 रुपए के नोटों को पहचाननें में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को देखने के लिए एक कमेटी भी गठित की गई है। कमेटी की रिपोर्ट अप्रैल तक अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में भी एक याचिका प्रलंबित है। जहां कमेटी अपनी रिपोर्टे सौपेंगी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आरबीआई को इस मामले को लेकर अधिक संवेदनशील होने की जरुरत है। हम चाहते हैं कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इस मामले पर गौर करें और इस मामले के समाधान के लिए अदालत की सहायता करें। इस मामले में मिंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया से भी अपेक्षा है कि वह इस मामले में नेत्रहीनों की मदद के लिए ठोस कदम उठाएं। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर पेश की जानेवाली रिपोर्ट को यहां की हाईकोर्ट में भी पेश किया जाए। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई 26 अप्रैल 2023 को रखी है।
Created On :   25 March 2023 6:18 PM IST