जहाँ रहें प्रकृति का सम्मान करें - शिवराज सिंह चौहान "ब्लॉग"!

Respect nature wherever you live - Shivraj Singh Chouhan Blog!
जहाँ रहें प्रकृति का सम्मान करें - शिवराज सिंह चौहान "ब्लॉग"!
जहाँ रहें प्रकृति का सम्मान करें - शिवराज सिंह चौहान "ब्लॉग"!

डिजिटल डेस्क | दमोह विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सभी को शुभकामनायें। पर्यावरण को बचाना सिर्फ एक दिन का काम नहीं है। यह हमारे दैंनदिन जीवन का अभिन्न अंग है। पर्यावरण की रक्षा यानी पृथ्वी को बचाने और उसे समृद्ध करना अपने-अपने जीवन को खुशहाल तथा समृद्ध बनाना है। समाज केवल मनुष्यों का समूह नहीं होता। पषु, पक्षी, नदियां, तालाब, समुद्र, पहाड़, वायु, प्रकाश, बाग, बगीचा, जंगल, सब मिलकर किसी समाज का निर्माण करते हैं। किसी जीवंत समाज की रचना इन सबके सहअस्तित्व से ही संभव हैं। हमारे जीवन में पर्यावरण इसीलिये बहुत मायने रखता है। पर्यावरण दिवस मनाना केवल रस्म अदायगी नहीं है, यह संकल्प लेने और उसे पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने का दिन है।

संकल्प धरा को बचाने, संवारने का, प्रकृति और जीव जन्तुओं की रक्षा का और मानव को प्रकृति से जोड़ने का। आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं वहां पर्यावरण की रक्षा का सवाल अहम हो गया है। जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत के क्षरण ने मनुष्य के अस्तित्व पर एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। इससे बचने का उपाय कल पर नहीं छोड़ा जा सकता। हमें आज और अभी पूरी सतर्कता व संजीदगी के साथ इन खतरों का मुकावला करने के लिये जुट जाना होगा। यही मानवीयता है और मानव सेवा है। हमारी भारतीय संस्कृति में पौधों का रोपण शुभ कार्य माना गया है। भारतीय उपासना पद्धति में वृक्ष पूज्यनीय है क्योंकि उन पर देवताओं का वास माना गया है।

विनाश से बचने के लिये समाज को प्रकृति-आराधना को परंपरा को पुनर्जीवित करते हुये वृक्षों के साथ जीना सीखना होगा। कोरोना के प्रकोप से हालांकि हम उबरते जा रहे हैं लेकिन इससे समाज को मुक्त रखना तभी संभव होगा जब हम अपने पर्यावरण को बचाये रखेंगे। पेड़ लगाना आज की नहीं भविष्य की जरूरतों को पूरा करता है। पेड़ लगाकर हम अपना अपनी पृथ्वी का भविष्य हरा-भरा करते हैं। याद रखें कि बाग-बगीचे, जंगल हरियाली केवल मनुष्य के लिए ही जीवनदायिनी नहीं है अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि के जीवन का आधार है। खुशी के हर मौके पर पौधारोपण कर अपनी खुशी के साथ अपनी धरती को हरा-भरा बनायें।

जन्मदिन पर भी पौधारोपण करें और पूरे समाज को प्रकृति बचाने और उससे प्रेम करने का संदेश दें। अपने खोये हुए प्रियजनों की स्मृति को पौधा लगाकर चिरस्थायी बनायें। इतना ही नहीं किसी अतिथि का स्वागत पौधों से करें। उपहार देने का अवदान भी पौधों को बनायें। मैंने हर दिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया है और पूरे साल मैं प्रतिदिन एक पौधा न केवल लगाऊंगा बल्कि उसकी रक्षा भी करूंगा, उसे वृक्ष बनते देखूंगा। समूचे ब्रह्मांड की रक्षा में यह मेरा छोटा सा विनम्र प्रयास है। आज मैं आपसे आव्हान करता हूं कि पर्यावरण, प्रकृति, जीव जन्तुओं, पषु-पक्षियों, नदी, तालाबों, बाग-बगीचों की रक्षा करने, उन्हें संवारने व समृद्ध करने में जुट जायें।

मैं यह नहीं कहता कि आप रोज एक वृक्ष लगायें लेकिन परिवार के साथ एक वृक्ष लगाकर उसे रोज खाद पानी दें, उसे बड़ा होते देखना कितना आनंद देता है, यह महसूस करने वाली बात है। यह ठीक अपने बच्चे का लालन-पालन करने उसे बड़ा करने का सुख देने वाला है। तिस पर यदि आप फलदार वृक्ष लगायें और जब उसमें फल आने लगेगा तो आप उसे देखकर ही गदगद हो जायेंगे। वृक्ष लगाना आत्म आनंद तो है ही, अपने परिवार और आसपास के लोगों को प्रकृति प्रेम का संस्कार देना भी है। आपका प्रयास पूरी मानवता को हरियाली की छठा से अच्छादित कर देगी। यह सब मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं। वृक्ष लगाना किसी सृजन से कम नहीं है। आइये हम सृजन का आनंद अपने और अपने आसपास के लोगों तक फैलायें, पर्यावरण को बचायें, धरती को बचायें और मानव जीवन को खुशहाल बनायें।

Created On :   7 Jun 2021 8:43 AM GMT

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