यहां बीड़ी बनाने वाली लड़कियों को ही बनाया जाता है घर की बहू

most qualified bride in Solapur is considered, who can make beedi
यहां बीड़ी बनाने वाली लड़कियों को ही बनाया जाता है घर की बहू
यहां बीड़ी बनाने वाली लड़कियों को ही बनाया जाता है घर की बहू

 

डिजिटस डेस्क । एक परफेक्ट वाइफ, बहू, भाभी या कोई भी रिश्ता जो ससुराल में एक लड़की को निभाना हो उसके लिए कौनसे गुण आप अपनी बेटी को सिखाएंगो और वो कौनसे संस्कार होंगे जो आप अपनी बेटी को देंगे, जिससे वो सुसराल में सभी का दिल जीत ले। हमारा ये सवाल बड़ा ही सीधा सा है और इसका जवाब भी आप बेहद सीधा सा ही देंगे कि एक लड़की को खाना पकाना, घर संभालना, छोटों को प्यार देना और बड़ों का आदर करना आना चाहिए, लेकिन हमारे देश में एक ऐसी जगह हैं, जहां गृहलक्ष्मी की कुछ और ही परिभाषा। आपको जानकर हैरानी होगी कि महाराष्ट्र के सोलापुर में सबसे योग्य दुल्हन उन लड़कियों को माना जाता है, जो बीड़ी बनाना जानती हैं। दूल्हे के घरवाले दूर-दूर से इन लड़कियों के छोटे-छोटे घरों में उन्हें देखने आते हैं। इन लड़कियों की योग्यता मापने का पैमाना शिक्षा, कमाई या राशिफल नहीं बल्कि बीड़ी बनाने की क्षमता है। क्योंकि यहां रोजगार पाने और आजीविका चलाने के लिए सबसे जरूरी यही है।

बीड़ी बनाने का सर्टिफिकेट देख कर होते हैं रिश्ते

बीड़ी बनाने वाली लड़कियों की इतनी डिमांड है कि लड़कियां अपने साथ बीड़ी बनाने का सर्टिफिकेट भी रखती है। सर्टिफिकेट से लड़की का चुनाव करने में आसानी हो जाती है। स्थानीय निवासी राधा एक सर्टिफिकेट दिखाते हुए कहती हैं, "मैं बचपन से अपनी मां के साथ बीड़ी बना रही हूं। मेरी योग्यता के आधार पर मुझे फैक्ट्री से सर्टिफिकेट भी मिल गया है। अब मुझे शादी या दहेज के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।" आपको जानकर हैरानी होगी कि बीड़ी बनाने का सर्टिफिकेट यहां रोजगार की गारंटी माना जाता है। 

 

Related image

 

बीड़ी बनाने का खास कौशल 

बीड़ी कंपनियां यहां के दैनिक मजदूरों को उनके स्किल लेवल के आधार पर सर्टिफिकेट जारी करती हैं। इसे पाने वाली औरतों/लड़कियों को प्रॉविडेंट फंड, बोनस और चिकित्सकीय मदद मिलती है। राधा बताती हैं कि यह कार्ड पाना पक्की नौकरी पाने जैसा ही है। एक समय पर कपड़ा उद्योग का गढ़ रहे सोलापुर में अब लोग बीड़ी उद्योग से जुड़ रहे हैं। यहां की लगभग 200 फैक्ट्रियों में करीब 65 हजार महिलाएं बीड़ी बनाने का काम करती हैं। बीड़ी बनाने के लिए खास कौशल की जरूरत होती है। महिलाएं तेंदू पत्ते को हल्के से मोड़कर उसमें तंबाकू भरती हैं और बिना पत्ती तोड़े उसे धागे से बांध देती हैं। 

 

Image result for bidi rolling industry

 

1000 बीड़ी बनाने पर 140 रुपए 

राधा को एक दिन में 1000 बीड़ी बनाने पर 140 रुपये मिलते हैं जिसमें से कुछ पैसे प्रॉविडेंट फंड के लिए भी कटते हैं। दिनभर घर से काम करने के बाद बीड़ी शाम को फैक्ट्री भेज दी जाती है। बारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी प्रियंका कहती हैं, "बीड़ी बनाने वाली महिलाओं के ज्यादातर बच्चे स्कूल जाते हैं, लेकिन पढ़ने-लिखने के बावजूद नौकरी की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में हमने बीड़ी बनाना शुरू कर दिया। अगर मुझे भरोसा होता कि ग्रैजुएशन के बाद मुझे नौकरी मिलेगी तो मैं जरूर पढ़ती।" 

बीड़ी बनाने वालों के नेता और पूर्व विधायक नारसय्या आदम कहते हैं, "महिलाओं के अलावा 10,000 लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस इंडस्ट्री से जुड़े हैं। राज्य में सबसे ज्यादा सुगर फैक्ट्रियां भी सोलापुर में हैं लेकिन वहां महिलाओं को नौकरी नहीं मिलती है। बीड़ी कार्ड मिल जाने से महिलाओं को शादी के लिए दहेज चिंता नहीं करनी पड़ती है।" 

 

Created On :   5 March 2018 1:36 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story