ये है इंडिया की पहली कॉम्पेक्ट SUV, जानें इसके प्लॉप होने की वजह

ये है इंडिया की पहली कॉम्पेक्ट SUV, जानें इसके प्लॉप होने की वजह

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-17 05:54 GMT
ये है इंडिया की पहली कॉम्पेक्ट SUV, जानें इसके प्लॉप होने की वजह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडिया में एकदम से सब 4 मीटर कॉम्पेक्ट एसयूवी की डिमांड तेज हो गई है। लेकिन आपने ध्यान नहीं दिया होगा, अभी से एक दशक पहले ही इंडियन कार मार्केट में कई दिलचस्प कारें थीं। आपको आज 13 साल पहले ले चलते हैं तब Ford Fusion लॉन्च हुई थी। फ्यूजन वो क्रॉसओवर कार थी जिसने यूरोपियन मार्केट में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े थे। लेकिन इंडियन मार्केट में ये अपनी जगह नहीं बना सकी। इंडियन मार्केट में Ford Fusion करीब 6 साल तक रही लेकिन एक भी बार लोकप्रिय नहीं हुई। मॉडर्न एज सब-4 मीटर compact SUV से मिलती जुलती ये कार आखिर फेल क्यों हुई बताएंगे हम।

 

 

कीमत 

Ford ने इंडिया में Fusion लॉन्च की थी, पेट्रोल बेस वेरिएंट के लिए 6.04 लाख रुपये की कीमत और बेस डीजल वेरिएंट की कीमत 6.98 लाख रुपये। कीमत को लेकर संवेदनशील इंडियन मार्केट को ये गाड़ी तब तक पसंद आई जब तक इसका प्राइस टैग नहीं दिखा था। Fusion के मोटे प्राइस टैग ने कार के लुक्स को जस्टिफाई नहीं किया और ज़्यादातर लोगों को ये गाड़ी एक बड़ी उम्र की hatchback लगी। C-सेगमेंट में उस वक्त इस कीमत पर कई दूसरे ऑप्शन उपलब्ध थे। Maruti उस वक्त ऑफर कर रही थी Swift और Esteem इसी प्राइस सेगमेंट में। Ford Ikon और Hyundai Accent जैसे भी दूसरे ऑप्शन उस वक्त उपलब्ध थे।

 

सर्विस

Fusion के लॉन्च के वक़्त Ford को इंडियन मार्केट में आये ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था। इंडियन कार खरीदारों के बड़े हिस्से के दिमाग में होती थी आफ्टर-सेल्स सर्विस और उस वक़्त Ford के सेल्स नेटवर्क का इंडिया में विस्तार हो ही रहा था। सीमित सर्विस सेंटर के चलते, जिन ग्राहकों को Fusion खरीदनी भी थी वह भी इस बारे में दुविधा में थे।  Ford के स्पेयर पार्ट्स को कीमती समझा जाता था और उस समय ये काफी हद तक सही भी था। अभी Ford भले ही सबसे सस्ती आफ्टर-सेल्स सर्विस का वादा करती हो, लेकिन एकाध दशक पहले तक Ford की कहानी दूसरी ही थी।

 

 

 

कम माइलेज

Fusion आती थी पावरफुल इंजन ऑप्शन्स के साथ। एक 1.6 लीटर Duratec पेट्रोल इंजन था जो प्रोड्यूस करता था मैक्सिमम 100 बीएचपी और 143 एनएम् पीक टार्क। लेकिन, फ्यूल एफिशिएन्सी यहां एक बड़ी चिंता थी।  16-वाल्व, एंथुसीयास्टिक इंजन सिर्फ 10 km/l डिलीवर करता था, और ये बात मार्केट को बिलकुल पसंद नहीं आई। डीजल इंजन था एक 1.4 लीटर Duratorq जो प्रोड्यूस करता था मैक्सिमम 67 बीएचपी और 157 एनएम् पीक टार्क। डीजल इंजन का रिटर्न था करीब 17 km/l लेकिन तब डीजल एक लोकप्रिय फ्यूल ऑप्शन नहीं हुआ करता था।

 

 

 

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