EESL का सपना टूटा, अफसरों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से किया इनकार

EESL का सपना टूटा, अफसरों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से किया इनकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-01 03:16 GMT
EESL का सपना टूटा, अफसरों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से किया इनकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लि. (EESL) महिंद्रा और टाटा की इलेक्ट्रिक कारें उपलब्ध कराते हुए भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बढ़ने का सार्थक कदम है। सरकारी अफसरों के लिए साधारण वाहनों की जगह इन कारों को मुहैया कराया जा रहा है। बहरहाल, ये कदम अब थोड़ी उलझन में दिखाई दे रहा है क्योंकि भारत सरकार के सीनियर अफसरों ने रोजाना उपयोग के लिए इन इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। खबरों के मुताबिक नाम ना बताने की शर्त पर एक सरकारी सूत्र ने बताया कि, EV इस्तेमाल ना किए जाने की एक वजह कार का खराब प्रदर्शन और कम बैटरी रेन्ज भी है। सीनियर अफसरों ने इन्हें चलाने से मना कर दिया है। यह भारत सरकार के 2030 तक भारत में पूरी तरह वाहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन के लक्ष्य के साथ ही घट रही घटना है।

 

 

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पहले पड़ाव में EESL ने टाटा मोटर्स को 350 यूनिट और महिंद्रा को 150 यूनिट EV बनाने का टेंडर दिया था। दूसरे पड़ाव में कुल 9500 यूनिट इलेक्ट्रिक वाहनों की डिलिवरी करनी थी, उसमें से 40 प्रतिशत महिंद्रा उपलब्ध करा रही है। सूत्र की मानें तो एक बार फुल चार्ज किए जाने पर टाटा टिगोर EV और महिंद्रा ई-वेरिटो सिटी लिमिट पर 80-82 किमी तक चलने में भी असमर्थ हैं। ग्लोबल स्टैंडर्ड से तुलना करने पर कार में लगी बैटरी पर्याप्त क्षमता वाली नहीं है। फिलहाल दोनों ही कारों में ग्लोबल मानक 27-35 kW के मुकाबले 17 kW बैटरी दी गई है। कंपनी ने जो दावा किया है उससे ये कारें कम रेन्ज लिमिट वाली हैं।

 

 

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EESL का कहना है कि 150 से ज्यादा कारें दिल्ली और आंध्र प्रदेश की सड़कों पर चलाई जा रही हैं। EESL के एक प्रवक्ता ने कहा कि, “जब से यह नई तकनीक आई है, हम अपने ग्राहकों को ये कार डिलिवर करने से पहले उनका विश्वास जीतना चाहते हैं। हम जुलाई के मध्य तक 200-250 इलेक्ट्रिक वाहन और मुहैया कराएंगे।” इस मुद्दे पर बात करते हुए टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि, “EESL के साथ हमारे टेंडर में हमने 250 कारें तैयार कर ली हैं, ये EV अगले पड़ाव की पूर्ती के लिए है। हम भारत सरकार के 2030 तक वहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए तत्पर हैं।”

 

 

 

EESL के पहले 10,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के टेंडर के बाद एक और टेंडर निकाला गया है जो 10,000 इलेक्ट्रिक कारों का है और इसी साल मार्च में पास किया गया था, लेकिन भारत में चार्जिंग की व्यवस्था के मद्देनजर इसे फिलहाल आगे बढ़ा दिया गया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि बड़े अधिकारियों ने इन वाहनों का इस्तेमाल करने से इसीलिए मना कर दिया है क्योंकि वाहनों का ये इलेक्ट्रिकफिकेशन बेहतर क्वालिटी की कारों पर नहीं किया गया है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि महिंद्रा वाहनों की बैटरी रेन्ज को उन्नत बनाने में लग गई है।

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