2426 लेनदारों ने जानबूझकर 14.7 खरब रुपये का डिफाल्ट किया : एआईईबीईए

2426 लेनदारों ने जानबूझकर 14.7 खरब रुपये का डिफाल्ट किया : एआईईबीईए

IANS News
Update: 2020-07-18 18:00 GMT
2426 लेनदारों ने जानबूझकर 14.7 खरब रुपये का डिफाल्ट किया : एआईईबीईए
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चेन्नई, 18 जुलाई (आईएएनएस)। ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण की 51वीं वर्षगांठ के जश्न के हिस्से के रूप में शनिवार को 2,426 लेनदारों की एक सूची जारी की, जिन्होंने जानबूझ कर अपने बैंक ऋण पर 14.7 खरब रुपये से अधिक का डिफाल्ट किया है।

एआईबीईए के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सार्वजनिक क्षेत्र के 17 बैंकों की सूची में इस मामले में पहले स्थान पर है, जिसके यहां विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या 685 है, जिनके ऊपर 43,887 करोड़ रुपये बकाया हैं।

एसबीआई के बाद पंजाब नेशनल बैंक (325 डिफाल्टर, 22,370 करोड़ रुपये बकाया), बैंक ऑफ बड़ौदा (355 डिफाल्टर, 14,661 करोड़ रुपये बकाया), बैंक ऑफ इंडिया (184 डिफॉल्टर, 11,250 करोड़ रुपये बकाया), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (69 डिफाल्टर, 9,663 करोड़ रुपये बकाया) और अन्य हैं।

पंजाब एंड सिंध बैंक के यहां सिर्फ छह विलफुल डिफाल्टर हैं, जिन्होंने 255 करोड़ रुपये का दिवालिया किया।

एआईबीईए के अनुसार, शीर्ष 10 डिफाल्टरों ने 32,737 करोड़ रुपये का डिफाल्ट किया है (बकाया और बट्टे खाते में)।

इस सूची को जारी करते हुए एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने एक बयान में कहा कि हमारे बैंकों के सामने एक मात्र बड़ी समस्या निजी कंपनियों और कॉरपोरेट्स द्वारा लिए कए ऋण का भारी मात्रा में बुरा ऋण बनना है।

वेंकटाचलम ने कहा, यदि उनपर कड़ी कार्रवाई कर के पैसे को रिकवर किया जाए, तो हमारे बैंक राष्ट्रीय विकास में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। डिफाल्टरों को रियायत देने और जनता को उसकी जमा राशि पर ब्याज दर घटाने और सर्विस चार्ज बढ़ाने की परंपरा बंद होनी चाहिए।

विलफुल डिफाल्टरों की सूची में गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, किंगफिशर एयरलाइंस, रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड, स्टर्लिग बायोटेक लिमिटेड और अन्य शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि 19 जुलाई, 1969 को तत्कालीन भारत सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, और उसके बाद से इन बैंकों ने एक नया रास्ता और सामाजिक दृष्टिकोण तैयार करना शुरू किया था।

वेंकटाचलम के अनुसार, बैंकों की शाखाएं 1969 में 8,200 से बढ़कर आज 1,56,349 हो गई हैं। प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग इस समय 40 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीयकरण से पहले यह शून्य थी।

उन्होंने यह भी कहा कि जमा और एडवांसेस 1969 में क्रमश: 5,000 करोड़ रुपये और 3,500 करोड़ रुपये थे, जो अब बढ़कर 138.50 लाख करोड़ रुपये और 101.83 लाख करोड़ रुपये रुपये हो गए हैं।

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