वित्तमंत्री ने भाजपा की मांग अनुरूप गांव, गरीब, किसान बजट पेश किया

वित्तमंत्री ने भाजपा की मांग अनुरूप गांव, गरीब, किसान बजट पेश किया

IANS News
Update: 2020-02-01 11:01 GMT
वित्तमंत्री ने भाजपा की मांग अनुरूप गांव, गरीब, किसान बजट पेश किया
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  • वित्तमंत्री ने भाजपा की मांग अनुरूप गांव
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नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने गांव, गरीब और किसानों के लिए अपना पिटारा खोल दिया है। सरकार ने कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए बड़े पैमाने पर 2.83 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

इसके संकेत बजट से पहले नौ जनवरी को भाजपा व केंद्रीय वित्तमंत्री की बैठक में भी मिले थे। कृषि व इससे संबंधित गतिविधियों, सिंचाई व ग्रामीण विकास के लिए वित्त वर्ष 2020-21 में यह आवंटन किया गया है।

संसद में शनिवार को आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) का विस्तार किया जाएगा, ताकि 20 लाख किसानों को सोलर पंप स्थापित करने में मदद मिल सके।

बजट भाषण में कृषि ऋण लक्ष्य भी 15 लाख करोड़ रुपये निर्धारित करने की घोषणा की गई।

सीतारमण ने कहा, स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाई जाने वाली ग्राम भंडारण योजना किसानों के लिए धारण क्षमता प्रदान करेगी और गांवों में महिलाएं धान्य लक्ष्मी के रूप में अपना स्थान हासिल कर सकती हैं।

ग्रामीण क्षेत्र पर निरंतर जोर देते हुए वित्तमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन के लिए 3.6 लाख करोड़ रुपये की मंजूरी दी।

वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में किसानों की सुविधा के लिए किसान रेल और किसान उड़ान सेवाओं की भी घोषणा की। इससे अब किसानों को खराब हो सकने वाली वस्तुओं को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि इसके लिए ट्रेन के साथ ही उड्डयन सेवा भी मिल सकेगी।

यह बजट भाजपा की एक गांव, गरीब और किसान बजट की मांग के अनुरूप है, जिसकी उम्मीद पार्टी ने नौ जनवरी को वित्तमंत्री के साथ अपनी तीन घंटे की बजट पूर्व बैठक में की थी। भाजपा महासचिव अरुण सिंह, जिन्होंने उस बैठक में भाग लिया था, ने मीडिया को बताया कि जिस तरह की घोषणाएं हुई हैं, उस लिहाज से यह गांव, गरीब व किसानों के लिए बजट बजट होगा।

इस साल के अंत में भारत की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में शुमार बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां भाजपा को सत्ता में लौटने की उम्मीद है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल जनसंख्या में से लगभग 88.71 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 9.23 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं।

इसके अलावा इसके अन्य फायदे भी हो सकते हैं। जैसे कि इस कदम से ग्रामीण आबादी के हाथ में अधिक पैसा आ जाएगा, जिससे ग्रामीण मांग पैदा होगी, जिसका बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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