पीएफसी, आरईसी चीनी उपकरणों पर आधारित विद्युत परियोजनाओं को फंडिंग बंद सकते हैं

पीएफसी, आरईसी चीनी उपकरणों पर आधारित विद्युत परियोजनाओं को फंडिंग बंद सकते हैं

IANS News
Update: 2020-06-29 11:00 GMT
पीएफसी, आरईसी चीनी उपकरणों पर आधारित विद्युत परियोजनाओं को फंडिंग बंद सकते हैं

नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। चीन के खिलाफ सरकार के आर्थिक जवाब के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के फायनेंसर उन परियोजनाओं को फंडिंग बंद कर सकते हैं, जिनमें पड़ोसी देश से आयातित उपकरण लगाए जाएंगे। यह जानकारी सूत्रों ने सोमवार को दी।

यह कदम सबसे पहले विद्युत क्षेत्र में उठाया जाएगा, जहां सरकारी स्वामित्व वाले पॉवर फायनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) और इंडियान रिन्यूवेबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) उन राज्यों को फायनेंस बंद कर सकते हैं, जो विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कर परियोजनाएं विकसित करेंगे।

चूंकि विद्युत क्षेत्र में ज्यादातर फंड इन तीन संस्थानों द्वारा मुहैया किए जाते हैं, लिहाजा यह प्रतिबंध चीनी गीयर के बड़े पैमाने पर आयात को रोकने में प्रभावी हो सकता है। यह कदम सौर सेक्टर की परियोजनाओं को प्रभावित करेगा, क्योंकि इस सेक्टर में चीनी आयात 80 प्रतिशत है।

विद्युत मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के फायनेंसरों को कहा गया है कि वे आयात को हतोत्साहित करने के लिहाज से फायनेंसिंग स्कीम तैयार करें, खासतौर से ऐसे उपकरणों के आयात को हतोत्साहित करने के लिए जो कम्युनिस्ट देश में विनिर्मित होते हैं। इस कदम के तहत या तो आयात के आधार पर परियोजनाओं को फंडिंग पूरी तरह प्रतिबंधित की जा सकती है या फिर इस तरह की परियोजनाओं पर एक प्रीमियम ब्याज दर लगाई जा सकती है।

सार्वजनिक क्षेत्र के इन तीनों विद्युत फायनेंसरों में से एक से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इसे कैसे हासिल किया जा सकता है। विभिन्न चीजों पर काम किया जा रहा है, जिसके बारे में फंड चाहने वाली एजेंसियों को अवगत करा दिया जाएगा।

पिछले सप्ताह विद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कहा था कि सरकारी स्वामित्व वाला विद्युत क्षेत्र फायनेंसिंग के स्वरूप को इस तरह आकार देने पर विचार कर रहा है, जिसमें उन डेवलपरों से कम दर का ब्याज लिया जाएगा, जो भारत में विनिर्मित उपकरणों का इस्तेमाल करेंगे। इससे आत्मनिर्भर भारत के विचार को बढ़ावा मिलेगा और घरेलू विनिर्माण में तेजी आएगी।

मंत्रालय पहले ही संकेत दे चुका है कि अगस्त से सौर बैटरी सहित सौर मॉड्यूल पर बेसिक सीमा शुल्क 15-20 प्रतिश लागू होगा, जो संचालन के दूसरे साल में बढ़कर 35-40 प्रतिशत हो सकता है।

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