1 लाख बच्चों को खाज-खुजली - 48 हजार दांतों की बीमारियों से ग्रसित

1 लाख बच्चों को खाज-खुजली - 48 हजार दांतों की बीमारियों से ग्रसित

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-05 11:25 GMT
1 लाख बच्चों को खाज-खुजली - 48 हजार दांतों की बीमारियों से ग्रसित

डिजिटल डेस्क उमरिया । बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी करने तथा समय रहते उनमें रोगों का पता लगाकर निदान करने के उद्देश्य से जिले में सन् 2014 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत  आंगनबाड़ी केन्द्रों से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की स्कूलों में डाक्टरों की टीम द्वारा बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। अप्रैल 2017 से मार्च 18 तक चलाए गए 1 साल के अभियान में जिले के लगभग 2 लाख 57 हजार बच्चों में से 1 लाख बच्चे दाद, खाज, खुजली जैसे त्वचा रोगों से ग्रसित पाए गए। यही एक ऐसी बीमारी है जो सर्वाधिक बच्चों में समान रूप से पाई गई। 48 हजार बच्चे दांतों की कैविटी से पीडि़त तथा 6 हजार अन्य रोगों से ग्रसित पाए गए। कुछ बच्चों को दृष्टि दोष भी पाया गया। इनकी बीमारियों के निदान की दिशा में उपाय भी किए गए। ज्ञातव्य है कि स्वाथ्य विभाग अंतर्गत इस कार्यक्रम को संचालित करने डाक्टरों की टीम हर महीने के 22 दिन रुट चार्ट के अनुरूप स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों का भ्रमण करती है।
तालाब व पोखरों के गंदे पानी में नहाते हैं
बताया गया कि बच्चों में त्वचा रोग पनपने का मुख्य कारण उनका  दूषित तालाबों और पोखरों में स्नान करना है। तालाबों में एक तो पानी बहुत कम है और वर्षों से भरा हुआ है जिसमें कि सडऩ सी उत्पन्न हो जाती है। इसी पानी में लोग अपने मवेशी भी नहलाते हैं। आसपास की गंदगी भी जमा होती रहती है। ऐसे पानी में माइक्रो वैक्टीरिया पनपते हैं, जिसके संपर्क में बच्चे आते हैं और बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इन बच्चों का जल्दी न तो अस्पताल में इलाज कराया जाता और न उन्हे तालाब में नहाने से मना किया जाता है। इसके अलावा यह बीमारी तेजी से संक्रमित होकर दूसरों को भी लग जाती है। स्कूलों में एक बच्चे की यह बीमारी दूसरे बच्चे को भी अपनी चपेट में ले लेती है।
मुंह की सफाई में भी लापरवाही
आरबीएस के स्वास्थ्य परीक्षण में 48 हजार से भी अधिक ऐसे बच्चे पाए गए जिन्हे दांतो की तकलीफ थी। दांतों से खून, बदबू, दांतों में पीले काले रंग की मीसियां आदि देखी गईं। हाई स्कूल व हायर सेकेण्डरी स्तर के कई बच्चे तंबाकू, गुटका के सेवन करने के कारण इन मीसियों से ग्रसित देखे गए। छोटे बच्चे विशेष रूप से ग्रामीण अंचलों में सुबह दातून का उपयोग करते हैं। लेकिन वे दातून भी सही ढंग से नहीं करते, कुछ बच्चे तो ऐसे भी पाए गए जिन्हे दातून करने की रोज आदत नहीं जो कि  सुबह केवल उंगली से मुह साफ कर लेते हैं। कार्यक्रम के दौरान सभी बच्चों से मुह साफ करने की विधि पूछने पर यह बातें ज्ञात हुईं। इन सभी बच्चों को मुंह की सफाई तथा दांतो के रखरखाव की विधियों से अवगत कराया गया।
6 हजार बच्चों के बने हेल्थ कार्ड
स्वास्थ्य परीक्षण केे दौरान लगभग 6 हजार की संख्या में ऐसे बच्चे भी पाए गए जो सामान्य से अलग कुछ विशेष बीमारियों से ग्रसित पाए गए। इनके नियमित और लंबे उपचार के लिए एक कार्ड बनाया गया। जिसमें इनकी जांच के बाद इनके स्वास्थ्य का सारा ब्यौरा और उपचार की स्थिति को अंकित कर इन्हे दिया गया। ताकि अस्पतालों में उस कार्ड को दिखाकर यह बच्चे आगे का इलाज जारी रख सकें। इन्हे नि:शुल्क उपचार की सुविधा दी गई है। इसी तरह नेत्र रोगी बच्चों के लिए भी जांच और चश्मेे आदि की व्यवस्था की गई है।
इनका कहना है
अधिकांश बच्चे गंदगी के संपर्क में रहने से बीमारियों के शिकार होते हैं। बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी रहन-सहन में स्वच्छता बरतने की समझाइस दी जाती है। आरबीएस का कार्यक्रम लगातार चलेगा।
अनिल कुमार, जिला समन्वयक, आरबीएसके

 

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