झूठी गवाही के लिए दबाव बनाने पर बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर सहित एसडीओ, दो अन्य रेंजरों को सजा

उमरिया झूठी गवाही के लिए दबाव बनाने पर बांधवगढ़ के तत्कालीन डायरेक्टर सहित एसडीओ, दो अन्य रेंजरों को सजा

Manuj Bhardwaj
Update: 2022-12-17 11:21 GMT
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डिजिटल डेस्क उमरिया। झूठी गवाही के लिए प्रताड़ित करने के एक प्रकरण में 10 साल बाद मानुपर व्यवहार न्यायालय का बड़ा फैसला आया है। न्यायाधीश सतीश शुक्ला की अदालत ने बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के तत्कालीन डायरेक्टर सीके पाटिल, एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर राजेश त्रिपाठी व रेंजर रेगी रांव को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने वर्तमान प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल सी के पाटिल को धारा  तीन साल की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर, डिप्टी रेंजर को छह माह की सजा व पांच सौ रुपए का आदेश पारित हुआ है।
जानकारी के मुताबिक मई २०१० में अज्ञात वाहन की टक्कर से झुरझुरा वाली बाघिन की मौत हुई थी। केस में हाईप्रोफाइल तत्कालीन मंत्री के परिजन भी संदेह के घेरे में थे। जांच करते हुए वन विभाग ने पीओआर दर्ज कर तत्कालीन रेंजर ललित पाण्डेय के चालक मान सिंह को संदेहास्पद मानकर उठा लिया था। साथ ही पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करने लगे। परिवादकर्ता के वकील अधिवक्ता अशोक वर्मा ने मीडिया को बताया तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ अक्षय कुमार सिंह, सीईओ मानपुर केके पाण्डेय व अन्य के विरुद्ध गवाही देने के लिए दबाव बना रहे थे। इसी को लेकर पत्नी नीतू बाई निवासी कशेरू ने मानपुर व्यवहार न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण का परिवाद साल २०१२ में दायर किया था। शुक्रवार को १० साल बाद प्रकरण में न्यायालय ने चारों अफसरों को दोषी करार दिया। बता दें कि घटना की जांच सरकार ने एसटीएफ से भी करवाई है। संदेहियों के नार्को टेस्ट तक हो चुके हैं।

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