नागपुर के 30 प्रतिशत पेड़ों की कटाई, 19 साल में घटा ग्रीन कवर

नागपुर के 30 प्रतिशत पेड़ों की कटाई, 19 साल में घटा ग्रीन कवर

Anita Peddulwar
Update: 2019-08-14 07:52 GMT
नागपुर के 30 प्रतिशत पेड़ों की कटाई, 19 साल में घटा ग्रीन कवर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसी समय हरियाली के लिए पहचाना जाने वाला नागपुर अब अपनी यह विशेषता खोता जा रहा है। पिछले 19 वर्ष में शहर के करीब 30 फीसदी पेड़ काटे जा चुके हैं। 1999 में नागपुर का ग्रीन कवर 116 वर्ग किलोमीटर था, जो 2018 में घटकर 76 वर्ग किलोमीटर ही रह गया है। यह खुलासा इंडिया स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसराे) के रीजनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से किए गए अध्ययन में हुआ है। इस तरह के पहले अध्ययन के अनुसार, जहां हरियाली में 30 फीसदी की कमी आई है, वहीं गैरहरित क्षेत्र, जिसमें आधारभूत संरचनात्मक विकास शामिल है, में 83 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। दरअसल, सैटेलाइट लैंडसेट 7 और लैंडसेट 8 से मिली इमेज व डेटा का विश्लेषण कर इनवेस्टिगेशन ऑन द डिकेडल चेंज ऑफ नागपुर कवर रिपोर्ट तैयार की गई है। यह अध्ययन नागपुर के मानद वन्यजीव वार्डन जयदीप दास के अनुरोध पर किया गया है। इसके मुख्य अध्ययनकर्ता अलोक टावरी और सह अध्ययनकर्ता अरुण सूर्यवंशी और एओ वर्गीस हैं। 

दक्षिण-पश्चिम में ज्यादा कटाई

नागपुर महानगर पालिका आयुक्त अभिजीत बांगर को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर में विकास संबंधी गतिविधियों के कारण बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं। यह कटाई भविष्य में भी जारी रहने की योजना है। जबकि पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएं शहर में हरित क्षेत्र की वास्तविक स्थिति को सामने लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शहर के दक्षिण-पश्चिम इलाके में हरियाली को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा है। यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का निर्वाचन क्षेत्र है। शहर के इस क्षेत्र में मिहान-सेज, बुटीबोरी और दूसरे औद्योगिक विकास के कारण काफी बड़े स्तर पर पेड़ काटे गए हैं। मनीषनगर, हुडकेश्वर, बेसा, नरसाला और चिंचभवन इलाके से भी काफी संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं।  

नियमों का गंभीरता से पालन नहीं

रिपोर्ट से यह भी साफ हुआ है कि मनपा की ओर से लागू नियम- एक पेड़ काटने पर पांच पेड़ लगाना बेअसर साबित हो रहा है। अगर इसका गंभीरता से पालन किया गया होता तो हालत ऐसे नहीं होते। इसकी बानगी सैटेलाइट लैंडसेट 7 और लैंडसेट 8 से मिली तस्वीरों से बखूबी होता है, जिनमें शहर में कुछ नए ग्रीन पैच नजर आ रहे हैं। ये नए क्षेत्र 11 वर्ग किमी में नजर आ रहे हैं, जबकि गायब ग्रीन कवर 51 वर्ग किमी है। फिलहाल, शहर में ग्रीन एरिया 65.19 वर्ग किमी है। पर्यावरणविदों के अनुसार, शहर में ग्रीन कवर घटने का असर तापमान में बढ़ोतरी, जल संकट, बारिश के पैटर्न में बदलाव और वायु प्रदूषण के रूप में दिख रहा है। 

पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिक लगातार प्रयासरत

अब वैज्ञानिक रूप से भी इसका प्रमाण सामने आ गया है कि नागपुर में जिस तेजी से ग्रीन कवर कम हो रहा है, उस दर से बढ़ नहीं रहा है। शेष बची हरियाली को बनाए रखने की सख्त जरूरत है। हालांकि, इसे लेकर पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिक लगातार प्रयासरत हैं। -जयदीप दास, मानद वन्यजीव वार्डन

 

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