यौन उत्पीड़न के शिकार निकाल रहे गौरव मार्च, मुंबई से शुरु होकर दिल्ली में होगी समाप्त

यौन उत्पीड़न के शिकार निकाल रहे गौरव मार्च, मुंबई से शुरु होकर दिल्ली में होगी समाप्त

Tejinder Singh
Update: 2018-12-19 13:34 GMT
यौन उत्पीड़न के शिकार निकाल रहे गौरव मार्च, मुंबई से शुरु होकर दिल्ली में होगी समाप्त

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों के प्रति समाज का नजरिया बदलने के लिए 5 हजार से ज्यादा पीड़ित गुरूवार से देशव्यापी गौरव (डिग्निटी) मार्च शुरू करेंगे। मुंबई के सोमैया मैदान से शुरू होने वाला यह मार्च 24 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 200 जिलों से होता हुआ 65 दिनों में कुल 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगा। अगले साल 22 फरवरी को दिल्ली में यह मार्च खत्म होगा। इस मार्च के जरिए यह संदेश देने की कोशिश है कि यौन हिंसा के मामलों में अपराधी पीड़ित नहीं बल्कि आरोपी होता है। मुंबई प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय गरिमा अभियान नाम के संगठन से जुड़े आशिफ खान ने यह जानकारी दी। इस दौरान यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाओं ने भी अपनी पीड़ा बयां की। 

कई बार बदलना पड़ा घरः भंवरी देवी
सामूहिक बलात्कार की पीड़ा झेल चुकी राजस्थान की समाजसेवी भंवरी देवी ने कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया नहीं बदल रहा है। लोग पीड़िता को ही कटघरे में खड़ा करते हैं। यौन उत्पीड़न का शिकार हुए लोग अपराध बोध से ग्रस्त हो जाते हैं। यह सही नहीं है इसीलिए एक जागरूकता अभियान और सामाजिक लड़ाई की जरूरत है। उन्होंने बताया कि लोगों के खराब नजरिए के चलते उन्हें छह बार घर बदलने पर मजबूर होना पड़ा। 

घरवालों ने ही देह व्यापार में झोंका
मध्यप्रदेश के बाछड़ा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली हिना ने बताया कि उन्हे 15 साल की उम्र में उनके परिवार वालों ने ही देह व्यापार के लिए मजबूर किया। उनके समुदाय की सभी लड़कियों को 11-12 साल की उम्र से ही इस दलदल में झोंक दिया जाता है। अगर कोई इस सामाजिक कुरीति का विरोध करे तो उसका जीना मुश्किल कर दिया जाता है।

पुलिस स्टेशन में हुआ दुष्कर्म
बैतूल की रहने वाली जानकी ने कहा कि उनकी बहू ने ही परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ-साथ उनके खिलाफ भी मामला दर्ज कराया था। उन्हें रात में पुलिस लॉकअप में रखा गया जहां उनके साथ पुलिसवाले ने बलात्कार किया। न्याय के लिए दरदर भटकने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। उल्टे उन्हें और परिवार वालों को दूसरे मामलों में भी फंसाने की धमकी दी जा रही थी। राष्ट्रीय गरिमा अभियान से जुड़े आशिफ शेख ने कहा कि बलात्कार, यौन हिंसा के शिकार बिना किसी शर्म संकोच के जीवन जी सकें और दोषियों को सजा मिले यह समाज की जिम्मेदारी है। इस मार्च के जरिए हम लोगों को इसी बात के लिए जागरूक करेंगे। संस्था की ओर से जारी मोबाईल नंबर 7822001155 पर मिस कॉल देकर आम लोग भी इस मार्च को अपना समर्थन दे सकते हैं। 

सिर्फ दो फीसदी मामले दर्ज करती है पुलिस
संगठन की ओर से यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए एक ऑनलाइन सर्वे किया गया। इसके नतीजे चौंकाने वाले थे। सर्वे में शामिल 70 फीसदी लोगों ने माना कि उनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है। इसमें से भी 95 फीसदी मामलों की पुलिस को जानकारी ही नहीं दी गई। जो मामले पुलिस तक पहुंचे उनमें भी सिर्फ 2 फीसदी मामले दर्ज किए गए। खान के मुताबिक यौन उत्पीड़न का शिकार लड़के भी होते हैं, लेकिन शर्म और संकोच के कारण ज्यादातर इसे बता नहीं पाते। सामाजिक वजहों से उनके लिए लड़कियों के मुकाबले इसका खुलासा करना ज्यादा मुश्किल होता है। इसके अलावा आंकड़े बताते हैं कि देश में हर 15 मिनट में एक बच्चा यौन उत्पीड़न का शिकार होता है।

बॉलीवुड ने की अनदेखी
आशिफ खान ने बताया कि बॉलीवुड के ज्यादातर बड़े कलाकारों को ईमेल कर इस मार्च में शामिल होने का आग्रह किया गया था, लेकिन सिर्फ टिस्का चोपड़ा और सुधा चंद्रन ने इसमें शामिल होने पर हामी भरी। उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि बड़े कलाकार भी इसमें शामिल होकर समाज का नजरिया बदलने की कोशिश करें, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में हाल ही में मीटू जैसी मुहिम चली थी लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाके में इस तरह के मार्च के जरिए ही लोगों को जागरूक किया जा सकता है। 

Similar News