16 साल बाद तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष दोषीं, तीन वर्ष का कारावास, अर्थदण्ड भी लगाया

16 साल बाद तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष दोषीं, तीन वर्ष का कारावास, अर्थदण्ड भी लगाया

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-03 16:25 GMT
16 साल बाद तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष दोषीं, तीन वर्ष का कारावास, अर्थदण्ड भी लगाया


डिजिटल डेस्क उमरिया। जिला पंचायत चुनाव में बलवा के 16 साल पुराने प्रकरण में  बुधवार को जिला न्यायालय ने निर्णय पारित किया है। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष व वर्तमान प्रदेश कार्य समिति सदस्य मिथिलेश पयासी को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अभिषेक कुमार ने दोषी करार दिया। अलग-अलग भादवि. धाराओं के तहत कुल तीन वर्ष साधारण कारावास व सात हजार रुपए का अर्थदण्ड लगाया है। वर्तमान में मिथलेश जिला पंचायत सदस्य भी हैं।
मीडिया सेल प्रभारी नीरज पाण्डेय (एडीपीओ) ने बताया यह पूरा घटनाक्रम 23 फरवरी 2005 का है। निर्धारित कार्यक्रम अनुसार जिला पंचायत में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद का चुनाव चल रहा था। नाम निर्देशन की कार्रवाई जिला पंचायत भवन में जारी थी। नव सदस्य निर्वाचन के लिए भवन के अंदर जा चुके थे। कार्रवाई के बीच दिन में 11 बजे तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मिथलेश पयासी 150-200 लोगों के साथ वहां पहुंचे। चुनाव रोको नहीं तो सड़कों पर खून बहेगा की नारेबाजी शुरू कर दी। चुनाव परिसर में बैरीकेटिंग लगाकर रोकने पर मिथलेश के साथ बृजेश पाटकर, रामकिशोर चतुर्वेदी, राजेन्द्र तिवारी, अशोक तिवारी, आशुतोष अग्रवाल, भरत अग्रवाल, नरेश आहूजा, ज्ञानेन्द्र सिंह, रमेश गुप्ता व अन्य लोग दूसरे गेट से भीतर घुसने लगे। ड्यूटी पर तैनात महिला आरक्षक व जवानों से छीना झपटी की। पत्थरबाजी चालू कर दी। पुलिस जवानों को घटनाक्रम में चोटें आईं थी। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। प्रकरण में कोतवाली थाने में आरोपियों के विरुद्ध 147, 148, 149, 353, 323, 336, 427, 447 का मामला पंजीबद्ध किया गया। विवेचना में मेडिकल परीक्षण व साक्षियों के बयान हुए। अभियोग पत्र न्यायालय में पेश हुआ। 16 वर्ष बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अभिषेक कुमार ने निर्णय पारित किया। जारी आदेश में मिथलेश को भा.द.स. की धारा 147, 332 सहपठित धारा 149 प्रमाणित पाए जाने, भादस. 147 अंतर्गत एक वर्ष का साधारण कारावास तथा दो हजार अर्थदण्ड लगाया गया। इसी तरह भादस. धारा 332 सहपठित धारा 149 के अंतर्गत दो वर्ष का साधारण कारावास व पांच हजार का अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई है। शासन की ओर से अभियोजन अधिकारी बीके वर्मा, नीरज पाण्डेय, एडीपीओ द्वारा प्रभावी संचालन व सशक्त पैरवी की गई।

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