बांधवगढ़ किला में बाघों की गर्जना के बीच मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी , मिलेगा पार्क में नि:शुल्क प्रवेश

बांधवगढ़ किला में बाघों की गर्जना के बीच मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी , मिलेगा पार्क में नि:शुल्क प्रवेश

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-23 07:56 GMT
बांधवगढ़ किला में बाघों की गर्जना के बीच मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी , मिलेगा पार्क में नि:शुल्क प्रवेश

डिजिटल डेस्क, उमरिया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज शुक्रवार को जिलेभर में मनाया जाएगा। सबसे बड़ा आयोजन बांधवगढ़ में होगा। यहां जंगल के भीतर किला स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं का मेला लगेगा। उमरिया के अलावा यहां दूसरे प्रदेश से भी लोग श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के लिए पहुंचते हैं। दशकों से चली आ रही परंपरा में इस बार 13 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। बारिश में बाघों के मूवमेंट को देखते हुए पार्क प्रबंधन की तरफ से तगड़े इंतजाम किए गए हैं। गेट से प्रवेश करते हुए 8 किमी. एरिया में डेढ़ दर्जन से अधिक ट्रैकिंग पाइंट बनाए गए हैं। इनकी मदद से जंगली जानवरों के मूवमेंट पर पल-पल अपडेट किया जाएगा। 

सुबह से मिलेगा नि:शुल्क प्रवेश

हर साल लगने वाले इस मेले की खासियत यह भी है कि आम तौर पर जून से अक्टूबर के मध्य बांधवगढ़ में लोगों को प्रवेश वर्जित रहता है।  प्रवेश के लिए पहले जेब ढीली कर टिकट बुक करवानी पड़ती है लेकिन सालों से चली आ रही कृष्ण जन्माष्टमी की परंपरा के चलते बांधवगढ़ के गेट श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क खोल दिए जाते हैं। यही नहीं बाघों के आवास यानि कोर एरिया के आठ किमी. में लोग पैदल चलकर भगवान कृष्ण के दर्शन व पूजा पाठ करते हैं।

ऐसी है व्यवस्था

पार्क प्रबंधन द्वारा बांधवगढ़ मेले में श्रद्धालुओं के प्रवेश के लिए गेट के पास आवक व जावक के अलग-अलग काउण्टर बनाए गए हैं। पूजा के लिए रीवा रियासत के वंशज विशेष तौर पर यहां आएंगे। लोगों को पहचान दस्तावेज के आधार पर काउण्टरों से नि:शुल्क पास दिया जाएगा। सुबह सात बजे से सुबह 11 बजे तक प्रवेश मिलेगा। फिर शाम पांच बजे से सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित जंगल से बाहर निकाल दिया जाएगा। सुरक्षा को देखते हुए फारेस्ट के अलावा जिला बल के 100 से अधिक जवान मुस्तैद किए गए हैं। जंगल के भीतर हाथियों में फारेस्ट कर्मी सुरक्षा गश्त लगाएंगे। लोगों की प्यास बुझाने पानी टैंकर, निस्तार के लिए अस्थाई शौचालय बना दिए गए हैं। हालांकि बुधवार-गुरुवार देर रात जंगल में बारिश के चलते ऊपर गुफा पहुंच मार्ग को नुकसान पहुंचा है। प्रबंधन लोगों की आस्था को देखते हुए युद्ध स्तर पर सुधार करवा रहा है। 

रीवा रियासत का है किला

जिला मुख्यालय उमरिया से 30 किलोमीटर दूर बाधवगढ़ किला स्थित है, जहां राम जानकी मंदिर में प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर मेला लगता है। मेले में उत्तरप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु भी कृष्ण के दर्शन के लिये आते है। बाधवगढ़ का किला लगभग 2 हजार वर्ष पहले बनाया गया था जिसका नाम शिव पुराण में भी मिलता है। इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य सिंह ने बनवाया था। किले में जाने के लिये मात्र एक ही रास्ता है जो बांधवगढ़ नेशनल पार्क के घने जंगलो से होकर गुजरता है। ऐसा माना जाता है कि बांधवगढ किले से एक गुप्त रास्ता है जो  रीवा किले को भी जाता है।

ऐसी है पैराणिक मान्यताएं

बाघों की घनी आबादी के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बीचो-बीच पहाड़ पर मौजूद है बांधवगढ़ का ऐतिहासिक किला। इस किले के नाम के पीछे भी पौराणिक गाथा है। कहते हैं भगवान राम ने वनवास से लौटने के बाद अपने भाई लक्षमण को ये किला तोहफे में दिया था इसी लिए इसका नाम बांधवगढ़ यानी भाई का किला रखा गया है वैसे इस किले का जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी है, स्कंध पुराण और शिव संहिता में इस किले का वर्णन मिलता है। बांधवगढ़ की जन्माष्टमी सदियों पुरानी है, पहले ये रीवा रियासत की राजधानी थी तभी से यहां जन्माष्टमी का पर्व धूमधूम से मनाया जाता रहा है और आज भी इलाके के लोग उस परंपरा का पालन कर रहे हैं।

इनका कहना है 

हर वर्ष की भांति ही जन्माष्टमी का पर्व बांधवगढ़ में मनेगा। सुबह सात बजे से प्रवेश काउण्टरों के माध्यम से मिलेगा। वन्यजीवों से सुरक्षा व श्रद्धालुओं को पेयजल व निस्तार सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा गया है। मेडिकल टीम भीतर बाहर तैनात हैं। विंसेंट रहीम, डायरेक्टर, बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व उमरिया
 

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