सरकार की चर्चा में भी झलक रहे भाजपा-शिवसेना के मतभेद

सरकार की चर्चा में भी झलक रहे भाजपा-शिवसेना के मतभेद

Tejinder Singh
Update: 2018-07-08 12:18 GMT
सरकार की चर्चा में भी झलक रहे भाजपा-शिवसेना के मतभेद

योगेश चिवंडे, नागपुर। राज्य में चल रही BJP-शिवसेना सरकार में दोनों ही दलों के मतभेद किसी से छिपे नहीं है। अब मतभेद सरकार की चर्चा में भी झलक रहे है। नौबत यहां तक पहुंच गई कि सदन में शिवसेना को सरकार से खुद को अलग दिखाना पड़ रहा है। विधानपरिषद में शिवसेना को कहना पड़ा कि ये युति की सरकार नहीं है। हमारे साथ BJP की चुनाव पूर्व कोई युति नहीं थी, इसलिए इसे युति सरकार कहना ठीक नहीं। हमारा सिर्फ सरकार को समर्थन है। परिवहन मंत्री दिवाकर रावते का यह बयान सरकार को चेताने के लिए काफी था। ये बयान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा रामगिरी पर आयोजित पत्र-परिषद में शिवसेना को झटका दिए जाने की प्रतिक्रिया थी।

दरअसल, रामगिरी में नाणार परियजोना को लेकर मुख्यमंत्री से सवाल किया गया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अपना पक्ष रखा, लेकिन जब फडणवीस से सटकर बैठे शिवसेना नेता व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई से इस बारे में पूछा गया। तो मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए उद्योग मंत्री देसाई को बोलने से रोक दिया कि ये मेरी प्रेस-कॉन्फ्रेंस है।

शिवसेना अलग प्रेस-कॉन्फ्रेंस लेकर अपनी भूमिका रखेगी। यह कहते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस सीधे अपनी सीट से उठ खड़े हुए। शिवसेना नेताओं को शायद मुख्यमंत्री का यह तरीका रास नहीं आया। इसलिए दूसरे दिन मानसून सत्र शुरू होते ही शिवसेना नेताओं ने विधानपरिषद में सरकार को चेता दिया। पूर्व कृषि मंत्री भाऊसाहब उर्फ पांडुरंग फुंडकर को श्रद्धांजलि देने शोक प्रस्ताव रखा गया था। शोक प्रस्ताव पर बोलते हुए शिवसेना नेता व परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने सीधे सरकार को अल्पमत होने का अहसास कराया। पांडुरंग फुंडकर को याद करते हुए रावते ने कई बार BJP को अपने पुराने दिन याद दिलाए। उन्हें ये तक याद दिलाया कि BJP का महाराष्ट्र में कोई खास महत्व नहीं था। ऐसे समय में पांडुरंग फुंडकर ने उन्हें पहचान दिलाई।

हालांकि विधानपरिषद का पहला सप्ताह काफी निरुत्साहजनक ही रहा। बुधवार से शुरू हुए अधिवेशन की कार्यवाही शुक्रवार तक चली। तीन दिन चले इस अधिवेशन शायद ठीक से 3 घंटे भी काम हो पाया है। पहले दिन भाऊसाहब फुंडकर को श्रद्धांजलि देने 1.30 घंटे सदन की कार्यवाही चली। दूसरे दिन विपक्ष ने कपास उत्पादकों को बोंड इल्ली से हुए नुकसान की भरपाई देने की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया। लगभग एक घंटे चली कार्यवाही में हंगामे के कारण कामकाज नहीं हुआ। एक घंटे में दो बार आधे-आधे घंटे के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। हंगामा रुकता न देख, आखिरकार कार्यवाही दिन भर के लिए रोकनी पड़ी। शुक्रवार का इतिहास में दर्ज हुआ। पहली बार बारिश और बिजली बंद होने से कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। इसे लेकर शिवसेना एक बार आक्रामक मूड में आ गई है।

असर सोमवार से शुरू होने वाले विधानपरिषद की कार्यवाही पर देखने मिल सकता है। शिवसेना नेताओं ने पहले ही बयान देकर अपनी भूमिका जता दी है। इससे आने वाले दिन और हंगामेदार होने के आसार नजर आने लगे हैं। फिलहाल इस विवाद में विपक्ष की भूमिका विधानपरिषद में गौण दिखी। शुक्रवार को भी सदन में प्रतिपक्ष नेता धनंजय मुंडे अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा अलग-अलग विषयों पर किए गए प्रस्ताव के कारण अपनी बात नहीं रख पाए और जब खड़े हुए तो सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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