लेटराइट की स्वीकृति लीज से कलेक्टर ने अलग कराई गौशाला की चरनोई भूमि - खनिज माफिया को बड़ा झटका 

लेटराइट की स्वीकृति लीज से कलेक्टर ने अलग कराई गौशाला की चरनोई भूमि - खनिज माफिया को बड़ा झटका 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-08 09:24 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क सतना। कोटर तहसील के बिहरा की सरकारी आराजी नंबर-2 में 5.700 हेक्टेयर पर स्वीकृत लेटराइट की लीज पर गौशाला निर्माण और इसी आड़ में 5 एकड़ की चरनोई की भूमि पर अंधाधुंध अवैध उत्खनन के पर्दाफाश के बाद कलेक्टर डा.सतेन्द्र सिंह ने खनिज माफिया को बड़ा झटका देते हुए लीज भूमि से चरनोई की जमीन को अलग कर दिया है। कलेक्टर डा.सिंह ने बताया कि चरनोई की भूमि को न केवल लीज एरिया से दूर कर दिया गया बल्कि चिन्हित स्थल का नक्शा भी तरमीम करा दिया गया है। उल्लेखनीय है, मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर के आदेश पर एसडीएम ने जहां गौशाला के निर्माण पर रोक लगा दी थी। निर्माण की एजेंसी आरईएस है। 
 क्या है पूरा मामला 
 जिले की कोटर तहसील के बिहरा की सरकारी आराजी नंबर-2 के जिस  5.700 हेक्टेयर अंशभाग में मंजू सिंह के नाम पर लेटराइट की लीज स्वीकृति थी, उसी भूमि पर शासन-प्रशासन से छल करते हुए बिहरा के हल्का पटवारी , सरपंच और सचिव की तिकड़ी ने 27 लाख की लागत से एक एकड़ में आनन फानन में गौशाला के निर्माण का काम शुरु कराने की भूमिका तैयार की थी। मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर ने निर्माण कार्य प्रतिबंधित करते हुए रामपुर बघेलान की एसडीएम से चरनोई की जमीन को अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रस्ताव मांगा था। भूमि चयन से संबंधित संशोधित प्रस्ताव मिलने पर कलेक्टर ने बीच का रास्ता निकाला और खनिज माफिया की साजिश नाकाम हो गई। असल में गौशाला की आड़ में खनिज माफिया को मालामाल करने की साजिश के तहत ही शासन से छल करते हुए लेटराइट की लीज पर गौशाला के साथ चरनोई की जमीन भी आवंटित करा दी गई थी। 

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