ख्वाजा यूनुस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका, पुलिस आयुक्त व प्रधान सचिव पर आरोप

ख्वाजा यूनुस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका, पुलिस आयुक्त व प्रधान सचिव पर आरोप

Tejinder Singh
Update: 2020-06-23 12:20 GMT
ख्वाजा यूनुस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका, पुलिस आयुक्त व प्रधान सचिव पर आरोप

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में मौत से जुड़े कथित मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना की याचिका दायर की गई है। याचिका में मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह व गृह विभाग के प्रधान सचिव अमिताभ गुप्ता पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाया गया  है। इसके साथ ही राज्य सरकार को प्रकरण में आरोपी चार निलंबित पुलिस कर्मियों की सेवा बहाली के संबंध में 5 जून 2020 को दिए गए आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया है। यह याचिका यूनुस की मां आसिया बेगम ने दायर की है। 

याचिका के मुताबिक आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई कर इस संबंध में रिपोर्ट मंगाई जाए। फिलहाल इनके खिलाफ निचली अदालत में मुकदमा चल रहा है। याचिका के मुताबिक 7 अप्रैल 2004 को हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्रथम दृष्ट्या आरोपी पुलिस कर्मियों की संलिप्तता नजर आ रही है। लिहाजा इनके खिलाफ विभागीय जांच कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। लेकिन पुलिसकर्मियों की सेवा बहाली जानबूझकर कर अदालत के आदेश की अवहेलना को दर्शाता है। इसलिए सरकार पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाए। 

इस मामले में आरोपी सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे, पुलिस कांस्टेबल राजेंद्र तिवारी, सुनील देसाई,व राजाराम निकम की सेवा बहाली की गई है। याचिका के अनुसार पुलिस निरीक्षक वझे ने अपनी नौकरी से इस्तीफा तक दे दिया था और शिवसेना से जुड़ गए थे। फिलहाल महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार है। गौरतलब है कि यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम धमाके के मामले में गिरफ्तार किया गया था औऱ 6 जनवरी 2003 में उसकी कथित रुप से पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। सत्र न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही हैं। पुलिसकर्मियों पर हत्या व सबूत नष्ट करने का आरोप है। जिसका पुलिसकर्मियों ने खंडन किया है। 


 

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