जरा सी हवा चलते ही गुल हो जाती है जिला मुख्यालय की बिजली, लोड मैनेजमेंट फेल
जरा सी हवा चलते ही गुल हो जाती है जिला मुख्यालय की बिजली, लोड मैनेजमेंट फेल
डिजिटल डेस्क, सतना। प्री-मानसून मेंटेनेंस के बड़े-बड़े दावों के बाद भी अगर हवा के महज एक मामूली से झोंके से जिला मुख्यालय की बिजली अनिश्चितकाल के लिए गोल हो जाती है,तो इसमें आखिर कसूर किसका है? इस सवाल के जवाब में पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से जुड़े टेक्निकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि कंपनी की सिटी डिवीजन की मेंटेनेंस टीम असल में लोड मैनेजमेंट और पावर को डायवर्ट के मामले में नकारा है। यही वजह है जरा सी बूंदाबांदी और हल्के से बौछार पर कब आधे से ज्यादा शहर घुप्प अंधेरे में चला जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में बाधित बिजली आपूर्ति की जल्द से जल्द बहाली तो दूर छोटे-छोटे फाल्ट को पकडऩे में भी रात गुजर जाती है।
इसे ऐसे समझे, मिसाल के तौर पर, पंचर हो गए 2 डिस्क
गुरुवार की दोपहर साढ़े 4 बजे के करीब 132/33 केवी पतेरी पावर स्टेशन से निकलने वाले 33 केवी कोलगवां फीडर पर पतेरी मोड़ के पास एक डिस्क पंक्चर होने से 33/11 केवी बगहा और 33/11 केवी कोलगवां सब स्टेशन की पावर सप्लाई ठप्प हो गई। इतना ही नहीं इसी तरह पहले से ही ओवर लोड चल रहे 33 केवी प्रेमनगर फीडर में भी डिस्क पंचर होने से आपूर्ति में गतिरोध आ गया।
33 केवी कोलगवां फीडर (पतेरी-बगहा) पर शाम 5 से रात 7 बजे के बीच इस किस्म का गतिरोध कोई नई बात नहीं है। पैनल में खराबी जहां स्थायी समस्या है। वहीं कभी डिस्क पंचर होती है तो कभी जंपर उड़ जाता है। कभी कंडंक्टर टूट पड़ते हैं तो कभी इंसुलेटर फट जाते हैं। इतना ही नहीं अक्सर CT (करंट ट्रांसफार्मर) बोल जाता है। आखिर, इस फीडर पर ये रोज का रोना क्यों है? विद्युत कंपनी के ही टेक्निकल एक्सपर्ट बताते हैं कि फसाद की जड़ पावर की ओवर लोडिंग है।
सतत आपूर्ति के सिर्फ 2 उपाय
आमतौर पर सिटी डिवीजन के ज्यादातर सब स्टेशन 5 एमबीए या फिर 8 एमबीए क्षमता के पावर ट्रांसफार्मर पर चल रहे हैं। जानकार बताते हैं कि 5 एमबीए के ट्रांसफार्मर पर 250 एम्पीयर से कम और 8 एमबीए के ट्रांसफार्मर पर 400 एम्पीयर से ज्यादा का लोड खतरे की घंटी है। आरोप हैं कि ऐसे में लोड मैनेजमेंट के लिए लोड को डायवर्ट करना जरुरी हो जाता है। इन्हीं जानकारों की राय में जब तक शहर के 5 किलोमीटर के दायरे में लगभग 450 किलोमीटर पर फैले पावर ट्रांसमिशन के नेटवर्क की बारीकी के साथ स्टडी नहीं की जाती है, तब तक लोड मैनेजमेंट को समझ पाना संभव नहीं है।
जानकारों का दावा है कि अगर उपलब्ध मैन पावर की मदद से महज एक माह का विशेष अभियान चला कर सिटी डिवीजन में पावर की ओवर लोडिंग समझ ली जाए तो लोड मैनेजमेंट और लोड को डायवर्ट कर हालात नियंत्रित किए जा सकते हैं।