ईएसआईसी ने दवा सप्लायर के दबाए 61 लाख रुपए, मरीजों का जीवन संकट में

ईएसआईसी ने दवा सप्लायर के दबाए 61 लाख रुपए, मरीजों का जीवन संकट में

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-02 08:25 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, सतना। दवा सप्लायर ने राज्य बीमा निगम कार्पोरेशन (ईएसआईसी) में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कई मरीजों की दवाइयां सप्लाई करनी बंद कर दी है। राज्य बीमा निगम की सतना डिस्पेंसरी को दवा सप्लाई करने वाले सप्लायर ने विभाग को दवा देने से इंकार कर दिया है। दरअसल, विभाग के ऊपर 61 लाख रुपए की देनदारी बकाया है। अब इसका खामियाजा उन गंभीर मरीजों को उठाना पड़ रहा है जिनकी सांस राज्य बीमा निगम की दवाइयों पर टिकी है। अब सतना में बैठे ईएसआईसी के कर्मचारियों की मजबूरी येे है कि वो भुगतान के लिए इंदौर डायरेक्ट्रेट का मुंह ताकना पड़ रहा है। डायरेक्ट्रेट है कि उसे मरीजों की जान से कोई लेना-देना नहीं है।

ईएसआईसी में 33 हजार मरीज

जानकारों से हासिल जानकारी के अनुसार राज्य बीमा निगम में करीब 33 हजार अशासकीय और संविदा कर्मचारी पंजीकृत हैं। इसमें अकेले सतना नहीं बल्कि रीवा, सीधी, सिंगरौली और पन्ना के विभिन्न संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी रजिस्टर्ड हैं। कहने को तो 33 हजार कर्मचारी रजिस्टर्ड हैं मगर इनमें से किडनी रोग, सुगर, हाई ब्लड प्रेशर, हृदयरोग, हाइपरटेंशन जैसे मर्जों से लड़ रहे 500 मरीज हर माह राज्य बीमा निगम की इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं।

महीने में औसतन 4 लाख की दवाओं की खपत

विभागीय सूत्र बताते हैं कि ईएसआईसी इन 5 सैकड़ा मरीजों की दवाइयों पर हर माह लगभग 4 लाख रुपए खर्च कर रही है। दवाइयां उपलब्ध कराने का ठेका सतना के अस्पताल चौक स्थित भारत मेडिकल हॉल के पास है। भारत मेडिकल हॉल को वर्ष 2018-19 का टेण्डर मिला था। 2019-20 की टेण्डर प्रक्रिया फिलहाल पूरी नहीं होने के कारण निविदा आमंत्रित होने तक भारत मेडिकल हॉल को ही एक्सटेंशन दिया गया है। सप्लायर ने साल भर में करीब 81 लाख रुपए की दवाइयां सतना डिस्पेंसरी को दी है। 

दवा सप्लायर ने दी थी नोटिस

पेमेंट न होने से अब दवा सप्लायर के सब्र का पैमाना छलक गया है। दो महीने पहले प्रभारी बीमा चिकित्सा पदाधिकारी को पत्र लिखते हुए दवा सप्लायर ने कहा था कि 20 मई 2018 से उनके देयकों का भुगतान नहीं दिया गया है। इन देयकों की राशि 70 लाख रुपए है। इंदौर डायरेक्ट्रेट ने मई 2019 में 10 लाख रुपए का भुगतान किया गया इसके बाद 15 लाख रुपए की एक और किश्त दवा सप्लायर को दी गई मगर 61 लाख रुपए अब भी बकाया है। 
 

Tags:    

Similar News