विदेशी नागरिकों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का क्लोन बनाने वाले गिरोह का हुआ भांडाफोड़ 

विदेशी नागरिकों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का क्लोन बनाने वाले गिरोह का हुआ भांडाफोड़ 

Tejinder Singh
Update: 2018-06-21 16:16 GMT
विदेशी नागरिकों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का क्लोन बनाने वाले गिरोह का हुआ भांडाफोड़ 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुलिस ने विदेशी नागरिकों के डेबिट/क्रेडिट कार्ड का क्लोन (नकल) बनाकर उन्हें करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह देशभर में फैला था और खासकर उन इलाकों और दुकानों पर नकली कार्डों का इस्तेमाल करता था जहां विदेशी पर्यटक ज्यादा संख्या में आते हैं। हैरानी की बात ये है कि आरोपी पिछले पांच सालों से ठगी का यह गोरखधंधा कर रहे थे लेकिन किसी ने आज तक पुलिस से शिकायत नहीं की थी। पुलिस गुप्त सूचना के आधार पर आरोपियों तक पहुंची।

पांच साल से चल रहा था गोरखधंधा 

पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से 51 स्वाइप मशीन (पीओएस मशीन), दो लैपटॉप, 65 नकली डेबिट/क्रेडिट कार्ड, कार्ड रीडर/राइटर और पैसे निकालने के लिए इस्तेमाल कई बैंकों के पासबुक बरामद किए हैं। पुलिस के मुताबिक आरोपी 2013 से ठगी का यह धंधा कर रहे थे। आरोपियों से जो नकली कार्ड बरामद किए गए हैं उनमें बड़ी संख्या अमेरिका और चीन के नागरिकों के हैं। पुलिस को शक है कि आरोपियों ने अब तक हजारों लोगों को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है। इस गिरोह के तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक फैले हो सकते हैं। पुलिस को शक है कि गिरोह का कोई शख्स विदेश में बैठकर लोगों के कार्ड की जानकारी और उनके पिन नंबर आरोपियों को मुहैया कराता है। मामले में जुबेर सैयद, हसन शेख, फहीम शोरा, अबू बोकर और मुकेश गर्ग नाम के आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 

दुकानदारों की मिलीभगत

शुरूआती छानबीन में पुलिस को पता चला है कि ठगी के इस धंधे में कई दुकानदार भी शामिल है। दरअसल पीओएस मशीनें बैंक दुकानदारों को देतीं हैं। लेकिन आरोपी दुकानदारों से मिलीभगत कर उनकी मशीन ले आते थे और घर पर कार्ड स्वाइप कर लोगों के खाते से रकम निकालते थे। कार्ड स्वाइप करने के बाद रकम दुकानदारों के खाते में जाते थे। दुकानदार 20 से 30 फीसदी तक कमीशन लेकर आरोपियों बाकी रकम दे देते थे। पुलिस जल्द ही इस मामले में कुछ दुकानदारों पर शिकंजा कस सकती है। पुलिस के मुताबिक आरोपी मुंबई के अलावा गोवा, बंगलुरू, जयपुर, हिमाचल प्रदेश, लुधियाना, चंडीगढ, कुलु, मनाली जैसे पर्यटक बहुल इलाकों में खरीदारी करते थे जिससे बैंकों को लगे की कार्ड इसका असली मालिक ही इसका इस्तेमाल कर रहा है। डीसीपी दिलीप सावंत ने बताया कि बैंक खातों के जरिए पीड़ितों की पहचान की कोशिश की जा रही है।
 

Similar News