शुक्र ग्रह अस्त: अब दो माह तक नहीं गूँजेगी शादी की शहनाई, जुलाई में मुहूर्त

  • 23 साल बाद बनी ऐसी स्थिति, मई-जून में एक भी मुहूर्त नहीं
  • शुक्र के अस्त रहते यदि विवाह करते हैं तो वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ और दोष उत्पन्न हो सकता है
  • 12 नवंबर को चातुर्मास का समापन होगा। उस दिन से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

Safal Upadhyay
Update: 2024-04-27 10:33 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। आगामी दो माह मांगलिक या वैवाहिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे, क्योंकि शुक्र ग्रह अस्त हो चुका है। इसके चलते आगामी मई और जून माह में शहनाई की गूँज नहीं सुनाई देगी।

ज्योतिषि विदों के अनुसार शुक्र ग्रह का सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए उदित रहना जरूरी होता है। यदि शुक्र उदयावस्था में नहीं है यानी शुक्र अस्त है तो उस समय विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं करते। शुक्र के अस्त रहते यदि विवाह करते हैं तो वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ और दोष उत्पन्न हो सकता है।

पं. रोहित दुबे, आचार्य वासुदेव शास्त्री, पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि मेष राशि में शुक्र का अस्त 26 अप्रैल को सुबह 5:19 बजे हुआ है, जो 29 जून तक अस्त रहेगा। शुक्र अस्त होने से मई और जून में शादी की शहनाइयाँ नहीं गूँजेंगी। ऐसा करीब 23 साल के बाद हो रहा है। इससे पहले वर्ष 2000 में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी।

सिर्फ 6 शुभ मुहूर्त- जुलाई माह में शादियों के सिर्फ 6 शुभ मुहूर्त क्रमश: 9 जुलाई, 11 जुलाई, 12 जुलाई, 13 जुलाई, 14 जुलाई और 15 जुलाई को हैं। 17 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। उस दिन देवशयनी एकादशी है।

चातुर्मास यानी की आषाढ़, सावन, भाद्रपद और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता क्योंकि देवता शयन करते हैं। 12 नवंबर को चातुर्मास का समापन होगा। उस दिन से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

4 महीने योग निद्रा में रहते हैं भगवान विष्णु- ज्योतिष विद्वानों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल की एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और फिर चार महीने तक वो विश्राम करते हैं। इस दौरान भगवान भोलेनाथ सृष्टि का कार्यभार सँभालते हैं, यही कारण है कि चार महीने तक भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

चार महीने के विश्राम के बाद नारायण जागते हैं और ये दिन होता है देवउठनी एकादशी का, जो इस बार 12 नवंबर को है। इस दिन से विवाह संबंधी सभी मंगल कार्यों की शुरुआत होती है।

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