स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिए टास्कफोर्स बना रही सरकार, महाराष्ट्र के 2755 स्कूल हुए तंबाकू मुक्त
स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिए टास्कफोर्स बना रही सरकार, महाराष्ट्र के 2755 स्कूल हुए तंबाकू मुक्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सड़कों पर जीवन व्यतीत करनेवाले बच्चों (स्ट्रीट चिल्ड्रेन) की स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने एक कार्यदल (टास्क फोर्स) का गठन किया है। यह टास्कफोर्स विभिन्न विभागों की बच्चों के कल्याण से जुड़ी जिम्मेदारी तय करेगा। इसके अलावा स्ट्रीट चिल्ड्रेन के उत्थान को लेकर टाटा इंस्टीच्यूट आफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के आधार पर एक कार्य योजना तैयार की गई है। इसे भी लागू किया जाएगा। शुक्रवार को अतिरिक्त सरकारी वकील हितेन वेणेगांवकर ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर राज्य के मुख्य सचिव डीके जैन बैठक ले रहे हैं। बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने कहा कि सरकार स्ट्रीट चिल्ड्रन को लेकर सर्वेक्षण भी करे। ताकि यह पता लगाया जा सके कि सड़कों पर बेसहारा घूमने वाले बच्चे किसी परिवार से जुड़े हैं अथवा परिवार के बिना बाहर घूम रहे हैं। यदि इन बच्चों का परिवार है तो उन्होंने घर क्यों छोड़ा है? इन सारी बातों को जानने के बाद सरकार प्रभावी नीति बनाए। खंडपीठ ने कहा कि सरकार इस मामले में गैर सरकारी संस्थाओं से भी मदद ले रही है और उन्हें निधि भी आवंटित कर रही है। इससे पता चलता है कि सरकार के पास बेसहारा बच्चों को मदद पहुंचाने को लेकर निधि की कोई समस्या नहीं है। वह इन बच्चों के कल्याण के लिए काम करने की भी इच्छुक है। जरुरत है कि सरकार बच्चों से जुड़ी योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करे। खंडपीठ के सामने एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में सड़कों पर जीवन व्यतित करनेवाले बच्चों के लिए रैन बसेरे बनाने व उनकी शिक्षा को लेकर कदम उठाने की मांग की गई है। इस बीच मुंबई मनपा की ओर से पैरवी कर रही वकील ने कहा कि हमने कई स्कूलों को रैन बसेरों में परिवर्तित किया है। आगे भी इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
उधर तंबाकू मुक्त स्कूल अभियान के तहत राज्य में 2 हजार 755 स्कूल तंबाकू मुक्त हो गए हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने यह जानकारी दी। शिंदे ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से राज्य के सरकारी, अर्धसरकारी और निजी शाला एवं महाविद्यालयों में छात्रों को जागरूक किया जा रहा है। शिंदे के ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि महाराष्ट्र में सिरगेट-बीडी फुंकने वालों की संख्या सबसे कम है। उन्होंने बताया कि कोटपा कानून का उल्लंघन करने वालों से दिसंबर 2018 तक राज्य भर में 15 लाख 39 हजार 174 रुपए जुर्माना वसूल किया गया है। राज्य के 34 जिलों में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (गैट्स) की 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में महाराष्ट्र में धूम्रपान का प्रमाण सबसे कम है। सर्वे के अनुसार राज्य में धूम्रपान का प्रमाण 3.8 प्रतिशत है। यह दूसरे प्रदेशों की तुलना में सबसे कम है। महाराष्ट्र में धूम्रपान में 2.1 प्रतिशत और धुम्रविरहित तंबाकू सेवन में 3.1 प्रतिशत गिरावट आई है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य जांच सर्वेक्षण में तंबाकू सेवन के प्रमाण में वर्ष 2005-06 से 2015-16 के दौरान गिरावट आई है।
महिलाओं ने भी कम किया इस्तेमाल
साल 2005-06 में महिलाओं में तंबाकू सेवन का प्रमाण 10.5 प्रतिशत था जो अब घटकर 5.8 प्रतिशत हो गया है। वहीं वर्ष 2005-06 में पुरुषों में तंबाकू सेवन का प्रमाण 48.3 प्रतिशत से घटकर 36.6 प्रतिशत तक आ गया है। शिंदे ने बताया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की तरफ से तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिलास्तर पर 309 तंबाकू मुक्ति केंद्र बनाए गए हैं। इसके जरिए जिला और तहसील स्तर पर तंबाकूजन्य पदार्थों से होनेवाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। दिसंबर 2018 तक 1 लाख 42 हजार लोगों का समुपदेशन किया गया। इससे 6 हजार 324 लोगों ने तंबाकू का सेवन बंद कर दिया है। अभी तक 804 स्वास्थ्य संस्थाओं को तंबाकू मुक्त किया गया है।
विभिन्न राज्यों में धूम्रपान की दर (प्रतिशत में)
महाराष्ट्र: ३.८
गोवा: ४.२
बिहार: ५.१
मध्यप्रदेश: १०.२
राजस्थान: १३.२
उत्तर प्रदेश: १३.५
उत्तराखंड: १८.१
मिजोरम: ३४.४ (सबसे अधिक)