एनआईटी बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने अपना स्थगन कायम रखा, सरकार को दो सप्ताह की मोहलत

एनआईटी बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने अपना स्थगन कायम रखा, सरकार को दो सप्ताह की मोहलत

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-05 05:59 GMT
एनआईटी बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने अपना स्थगन कायम रखा, सरकार को दो सप्ताह की मोहलत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में दायर जनहित याचिका में राज्य सरकार के नागपुर सुधार प्रन्यास (नासुप्र) को बर्खास्त करने के फैसले का विरोध किया गया है। सत्यवर्त दत्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि नासुप्र का गठन शहर के विकास के लिए किया गया था। भू-खंड नियमितीकरण और जल निकासी जैसी अहम सुविधाएं देने वाली इस संस्था से सरकार को ही फायदा मिल रहा है।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने नासुप्र बर्खास्तगी पर लगाया स्थगन भी कायम रखा। वहीं जवाब प्रस्तुत कर पाने में असमर्थ सरकार को दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए गए। इस याचिका में दत्ता ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर राजकीय लाभ के लिए नासुप्र को बर्खास्त करने का आरोप लगाया है। मामले में कोर्ट ने  अंतरिम आदेश दिए हैं कि वे नासुप्र की किसी योजना में अपनी ओर से काेई परिवर्तन न करें। 

यह है मामला
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने 27 दिसंबर 2016 को मंत्रिमंडल में नासुप्र को बर्खास्त कर उसके सभी अधिकार मनपा को सौंपने का फैसला लिया। समायोजन की यह प्रक्रिया 31 दिसंबर 2017 तक पूर्ण की जानी थी। इसके लिए प्रधान सचिव की अध्यक्षता में समिति भी गठित की गई थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि नासुप्र से सरकार को आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि फायदा है। सरकार ने विविध विकास कार्यों का हवाला देकर नासुप्र से राशि ली, मगर लौटाई नहीं।

इधर अब तक नासुप्र के कर्मचारियों के स्थानांतरण पर भी कोई फैसला नहीं हुआ है। दूसरी ओर मनपा की आर्थिक स्थिति खराब है। मनपा में नासुप्र कर्मचारियों का समावेश हुआ, तो मनपा की स्थिति और बिगड़ेगी। कुल मिलाकर एनआईटी की बर्खास्तगी को लेकर चल रहे विवाद के चलते जहां कर्मचारियों के वेतन का बोझ बढ़ा है वहीं कामकाज ठप पड़े हुए हैं। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा।

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