स्टूडेंट को श्रेणी सुधार योजना के तहत मार्कशीट देने के HC ने दिए निर्देश

स्टूडेंट को श्रेणी सुधार योजना के तहत मार्कशीट देने के HC ने दिए निर्देश

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-14 12:00 GMT
स्टूडेंट को श्रेणी सुधार योजना के तहत मार्कशीट देने के HC ने दिए निर्देश

डिजिटल डेस्क,मुंबई। विद्यार्थियों को अपना प्रदर्शन सुधारने का अवसर देने के उद्देश्य से लायी गई थी श्रेणी सुधार योजना। इस योजना के तहत परीक्षा देने वाले छात्र को महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल दूसरी मार्कशीट देने से मना नहीं कर सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंकित शर्मा नाम के छात्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेश में यह बात कही है। 

शर्मा ने जब पहली बार फरवरी 2016 में जब पहली बार 12वीं की परीक्षा दी थी तो उसे 55.85 प्रतिशत अंक मिले थे। शर्मा को लगा कि इतने कम अंकों से वह अपनी पढ़ाई के सपने को पूरा नहीं कर पाएगा। इसलिए उसने सरकार की श्रेणी सुधार योजना के तहत दोबारा 12वीं की परीक्षा दी। इस बार उसे 69.54 प्रतिशत अंक मिले।

कुछ समय के बाद जब शर्मा ने श्रेणी सुधार योजना के तहत दी गई 12वीं की परीक्षा की मार्कशीट मांगी तो बोर्ड ने उसे यह मार्कशीट देने से मना कर दिया। बोर्ड ने पत्र लिखकर शर्मा को सूचित किया कि उसने 6 महीने बाद मार्कशीट के लिए आवेदन किया है। बोर्ड के पास इतने समय के बाद श्रेणी सुधार की मार्कशीट देने का अधिकार नहीं है। बोर्ड के इस पत्र व कठोर रुख के खिलाफ शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच के सामने शर्मा की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान बोर्ड अपने रुख पर कायम रहा। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि विद्यार्थियों को अपना प्रदर्शन सुधारने का अवसर देने के उद्देश्य से श्रेणी सुधार की योजना लायी गई है। याचिकाकर्ता छात्र ने सिर्फ 6 महीने देरी से मार्कशीट के लिए आवेदन किया है। इस वजह से छात्र के मार्कशीट न देने का बोर्ड का निर्णय इस योजना के उद्देश्य को प्रभावित करता है। क्योंकि छात्रा ने मार्कशीट में किसी बदलाव व सुधार के लिए आग्रह नहीं किया है, उसने सिर्फ अपना रिजल्ट मांगा है। इस मामले में बोर्ड को अपने उच्चाधिकारों का प्रयोग करके छात्र को मार्कशीट प्रदान करनी चाहिए थी।

यह कहते हुए बेंच ने कहा कि यदि छात्रा मार्कशीट के लिए निर्धिरित शुल्क (एक हजार रुपए) जमा करता है तो उसे उसकी मार्कशीट दी जाए। बेंच ने छात्र को अपनी पुरानी मार्कशीट बोर्ड के पास जमा करने का निर्देश दिया। बेंच ने  साफ किया है कि हमारा यह आदेश सिर्फ इस मामले के लिए है। 

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