हाईकोर्ट: बालिग युवती अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र, याचिका का किया निराकरण

हाईकोर्ट: बालिग युवती अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र, याचिका का किया निराकरण

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-20 17:09 GMT
हाईकोर्ट: बालिग युवती अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र, याचिका का किया निराकरण

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने बुधवार को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण करते हुए कहा कि बालिग युवती अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र है। इसके पूर्व युवती ने एकल पीठ से कहा कि उसने याचिकाकर्ता से विवाह किया है। तीन महीने में उसकी बड़ी बहन की शादी होने वाली है, तब तक वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है।

यह था पूरा मामला
छुई मोहल्ला बेलबाग निवासी शुभम मराठा की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण में कहा गया कि उसने 25 जनवरी को मैहर में एक युवती से प्रेम विवाह किया था। 28 जनवरी को दोनों अपनी शादी की सूचना देने के लिए जबलपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय आए थे। जीआरपी पुलिस उन्हें पकड़कर ओमती थाने ले गई। याचिका में कहा गया कि वहां से शुभम को कटनी जीआरपी में भेज दिया गया। युवती को उसके परिजनों के हवाले कर दिया गया। इसके बाद उसे युवती से मिलने नहीं दिया गया। इस मामले में जस्टिस नंदिता दुबे की एकल पीठ ने 19 फरवरी को युवती को पेश करने का आदेश दिया था। 19 फरवरी को जीआरपी और युवती की बड़ी बहन ने एकल पीठ के समक्ष हाजिर होकर कहा कि युवती के पेट में दर्द है, इसलिए उसे इलाज के नागपुर भेजा गया है। एकल पीठ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि 20 फरवरी को हर हाल में युवती को पेश किया जाए।

यह कहा आदेश में
बुधवार को जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ के समक्ष युवती को पेश किया गया। अधिवक्ता ब्रजेश रजक, एसके रजक और रामराज चौहान ने कहा कि युवती के परिजन उसकी मर्जी के खिलाफ दूसरी शादी करना चाहते हैं। इसलिए उसे याचिकाकर्ता से मिलने नहीं दिया जा रहा है। युवती ने एकल पीठ को बताया कि उसने याचिकाकर्ता से विवाह किया है, तीन महीने में उसकी बड़ी बहन की शादी होने वाली है, तब तक वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि बालिग युवती अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र है।

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