मिड डे मिल का ठेका रद्द करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

नाशिक मिड डे मिल का ठेका रद्द करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Tejinder Singh
Update: 2022-05-23 13:02 GMT
मिड डे मिल का ठेका रद्द करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने स्कूली बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) के ठेके को रद्द करने के नाशिक महानगरपालिका की ओर से जारी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। महानगरपालिका ने 19 मार्च 2020 को ठेका रद्द करने को लेकर आदेश जारी किया था। जिस पर न्यायमूर्ति एए सैय्यद व अभय अहूजा की खंडपीठ ने अगले आदेश तक रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 21 जून को रखी है। 

खंडपीठ ने कहा कि जून के पहले व दूसरे सप्ताह में स्कूल खुल जाएगे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के तहत स्कूली बच्चों को मिड डे मील के तहत भोजन की आपूर्ति जरुरी है। चूंकि अभी तक मिड डे मील के लिए नई टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। गर्मियों की छुट्टी खत्म होने के बाद स्कूल शुरु हो जाएगी। इसलिए बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए ठेका रद्द करने के आदेश अथवा नया वर्क आर्डर जारी होने तक अंतरिम रोक लगाई जाती है। लेकिन मनपा इस रोक के बावजूद मिड डे मील के लिए नई टेंडर की प्रक्रिया को जारी रख सकती है। खंडपीठ ने मनपा को शीघ्रता से अपनी टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने को कहा है। 

दरअसल नाशिक मनपा ने उसके अंतर्गत आनेवाली स्कूलों को लेकर श्री स्वामी समर्थ स्वयं रोजगार महिला सहकारी संस्था व भागुर परिसर महिला उद्योग सहकारी संस्था सहित आठ संस्थाओं को मिड डे मील का ठेका दिया था। ठेके के तहत रोजाना पके हुए भोजन के दस हजार पैकेट की आपूर्ति करनी थी। इस बीच कोविड के चलते ठेके को रद्द कर दिया गया। जिसको लेकर संस्थाओं ने सरकार के पास निवेदन दिया लेकिन जब सरकार ने भी निवेदन को खारिज कर दिया तो संस्थानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

याचिका पर गौर करने व सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में मनपा की ओर से अधिकारों का सही इस्तेमाल हुआ नजर नहीं आ रहा है। याचिकाकर्ताओं को लेकर मनपा की ओर से पेश की गई जांच रिपोर्ट विश्वास पैदा नहीं कर रही है। इसलिए मनपा के आदेश पर रोक लगाई जाती है। खंडपीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं को अभी ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया है। इसलिए वे भी मनपा की मिड डे मील से जुड़ी नई टेंडर प्रक्रिया में शामिल हो सकती हैं। संस्था की ओर से अधिवक्ता क्रांति एलसी ने पक्ष रखा। 

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