जल उपचार व्यवस्था नहीं की तो बंद कर दिए जाएंगे बांधवगढ़ के 17 रिसार्ट

जल उपचार व्यवस्था नहीं की तो बंद कर दिए जाएंगे बांधवगढ़ के 17 रिसार्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-06 08:53 GMT
जल उपचार व्यवस्था नहीं की तो बंद कर दिए जाएंगे बांधवगढ़ के 17 रिसार्ट

डिजिटल डेस्क, उमरिया । पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय ने बांधवगढ़ नेशनल पार्क के 17 रिसोर्ट होटलों तथा नगर के 12 वाहन सर्विस सेंटरों को नोटिस देकर 20 दिन की अवधि में जल उपचार व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। बीस दिन के अंदर यदि जल उपचार व्यवस्था नहीं बनाई जाती तो इन संस्थानों को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में भी इन्हें नोटिस देकर नियमों की जानकारी दी गई थी।

बताया गया कि बांधवगढ़ के करीब 25 रिसोर्ट हैं, इनमें से पहली नोटिस के बाद 5 ने व्यवस्था कर ली और 3 ने कार्य शुरू करा दिया है। शेष लोगों ने नोटिस पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए पुन: नोटिस जारी की गई है।

बंद हो सकते हैं रिसोर्ट और सर्विस सेंटर
पर्यावरण बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के अनुसार यदि 20 दिन की अवधि में पर्यावरण बोर्ड की सहमति नहीं ली जाती और उत्सर्जित होने वाले दूषित जल का उपचार की स्थाई व्यवस्था नहीं की जाती, तो विभाग द्वारा दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसमें संस्थान बंद कराने की भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अंतर्गत जिला प्रशासन को सूचना देतेे हुए इनका बिजली पानी बंद कराया जाएगा। जिला प्रशासन के निर्देश पर इनकी बिजली और पानी के कनेक्शन काटे जाएंगे। इसके बाद फिर अगली कार्रवाई की जाएगी।

रसायनयुक्त विषैला पानी खुले मेंं बहा रहे
नगर में स्थित वाहन धुलाई व मरम्मत करने वाले केन्द्र द्वारा वाहनो का गंदा पानी जिसमें जला आयल और रद्दी पेट्रोलियम मिक्स होता है सड़कों और नालियों में बहा दिया जाता है। इसकेे रसायन हवा में उड़कर शरीर में श्वांस के माध्यम से पहुंचते हैं। जिनसे मानव स्वास्थ्य को हानि पहुंच सकती है। इसके अलावा मवेशी इस पानी को पी लेते हैं, उन्हें भी भारी नुकसान पहुुंचता है। इस पर शासन ने प्रतिबंध लगाया है। लेकिन इसके बावजूद प्रक्रिया के अनुरूप पानी बहाने हेतु इन सेंटरों ने अभी तक न तो विभाग से सहमति ली और न प्रावधान का पालन किया है।

यहां भी अपर्याप्त हैं उपाय
कुछ होटलों में निस्तारी पानी की व्यवस्था के लिए सोकपिट सैप्टिक टैंक बनाए गए हैं, लेकिन यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। जहां अधिक पानी उपयोग होता है और अधिक दूषित जल निकलता है वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना ही उपयुक्त उपाय माना जाता है। इसी तरह जिला अस्पताल को भी व्यवस्था सुधारने नोटिस दी गई थी। जहां शासकीय स्वीकृति और बजट की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अस्पताल में प्लांट लगाया जाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यहां के निस्तारी पानी में हानिकारक वैक्टीरिया व केमिकल्स होते हैं। बस्तियों की नालियों व अन्य साफ-सफाई के लिए नियमित अभियान चलना चाहिए, लेकिन नगरपालिका गंभीरता नहीं बरत रहीं है।

इनका कहना है
पर्यावरण संरक्षण हेतु लगातार संस्थाओं की जांच कर उन्हें समझाइश और चेतावनी दी जा रही है। इसमें बांधवगढ़ रिसोर्ट और सर्विस सेंटर भी शामिल हैं। यदि इस बार नोटिस का पालन नहीं किया गया तो निश्चित रूप से बंद कराने की कार्रवाई की जाएगी।
जीके बैगा, कनिष्ट वैज्ञानिक, पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल

 

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